सागर स्थित बख्तेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना करीब दौ सौ वर्ष पूर्व फाल्गुन शुक्ला एकादशी के दिन 1872 में हुई थी। तत्कालीन राजा बख्तावर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। वर्तमान में सातवीं पीढ़ी इस मंदिर की पूजा अर्चना कर रही है। मंदिर में मुख्य सिंहासन पर चार प्रतिमाएं विराजमान है। सिंहासन के बीच में श्वेत पाषाण पत्थर से निर्मित भगवान शिव व पार्वती की दूल्हा दूल्हन की प्रतिमाएं राजषी वेश में विराजमान है। इन प्रतिमाओं की सबसे खास बात यह है कि एक ही पाषाण पत्थर को काटकर दो प्रतिमाएं बनाई गई है। ये सभी प्रतिमाएं आदमकद है।
इसी के साथ ही बेशकीमती काले पत्थर से निर्मित गण्ेाश जी के वाहन मूषक व स्वामी कार्तिकेय के वाहन मयूर की प्रतिमाएं भी यहां पर है। श्वेत पाषाण पत्थर सेस निर्मित शिवजी का वाहन नंदी व पार्वती माता का वाहन सिंह भी यहां पर है।मंदिर के वर्तमान पुजारी पंडित विजय कुमार सारस्वत ने बताया कि सावन मास के सोमवार शिवरात्रि ?? तथा मंदिर के स्थापना दिवस पर विशेष धार्मिक आयेाजन किए जाते हैं।
अलवर शहर में महादेव के मंदिरों में शिवरात्री की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी है। शहर के त्रिपोलिया स्थित शिव मंदिर, सागर स्थित बख्तेश्वर महादेव मंदिर, सोनावां की डूंगरी स्थित लंबोदर महादेव मंदिर, पोस्ट ऑफिस के पास स्थित नागेश्वर मंदिर, मंगल विहार स्थित सार्वजनिक शिव मंदिर, किशन कुंड स्थित शिव मंदिर, होपसर्कस स्थित कैलाशबुर्ज शिव मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयेाजित किए जाएंगे । इन स्थानों पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।