जानकारी के अनुसार लॉरेंस विश्नोई गैंग के गैंगस्टर हरियाणा निवासी कपिल नेहरा उर्फ पहलवान पुत्र बिजेन्द्र, यशपाल उर्फ सरपंच पुत्र वीरसिंह व मोनू उर्फ सूखा पुत्र लखमी और सीकर के फतेहपुर निवासी अजय पुत्र रामकुमार चौधरी किशनगढ़बास जेल में बंद थे। जिन्हें मई माह में अलवर सेंट्रल शिफ्ट किया गया था। इन हार्डकोर अपराधियों द्वारा जेल में मोबाइल चलाने की जेल प्रशासन को लगातार सूचना मिल रही थी, लेकिन ये अपराधी जेल प्रशासन को बैरकों की तलाशी नहीं लेने देते थे। तलाशी के दौरान विरोध करते और झूठी शिकायतें करते। जिसके चलते जेल प्रशासन ने इन हार्डकोर अपराधियों की जेल ट्रांसफर कराने की अर्जी लगाई हुई थी। अर्जी मंजूर होने पर गुरुवार तड़के कड़ी सुरक्षा में इन हार्डकोर अपराधियों को यहां से हाई सिक्योरिटी जेल अजमेर ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद जेल प्रशासन ने दो टीमें गठित कर इन हार्डकोर अपराधियों के वार्ड नम्बर-एक के बैरक नम्बर दो व तीन की तलाशी ली। जिसमें बैरक नम्बर तीन में जंगले के दीवार में गढ़े हुए दो एंड्रोयड मोबाइल मिले। जिन्हें सजायाफ्ता बंदी अजय चौधरी इस्तेमाल करता था। वहीं, बैरक नम्बर-दो में शौचालय के चैम्बर के नीचे गड़े दो एंड्रोयड मोबाइल बरामद हुए। इन मोबाइल को बंदी कपिल, यशपाल और मोनू इस्तेमाल करते थे। जेल उपाधीक्षक मुक्ति यदुवंशी ने जेल में मोबाइल मिलने की घटना के बाद शहर कोतवाली थाने में इन बंदियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
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जेल में लगातार मिल रहे मोबाइल : अलवर सेंट्रल जेल की सुरक्षा में लगातार सेंध लग रही है। जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से हार्डकोर अपराधियों से मोबाइल सहित अन्य प्रतिबंधित सामग्री पहुंच रही है। इससे पूर्व में भी जेल में से बंदियों के बैरकों से मोबाइल बरामद हो चुके हैं। पिछले महीनों में भी जेल में मोबाइल मिलने की दो घटनाएं सामने आई थी।
एक इंस्पेक्टर की हत्या की थी: अलवर जेल में बंद रहे ये सभी बदमाश लॉरेंस गैंग के हार्डकोर अपराधी हैं। हरियाणा निवासी कपिल, यशपाल और मोनू सभी पर हत्या, फायरिंग और रंगदारी आदि के 15 से 20 मुकदमे दज हैं। वहीं, सीकर के फतेहपुर निवासी अजय चौधरी के खिलाफ भी कई आपराधिक प्रकरण दर्ज है। अजय चौधरी सीकर में पुलिस इंस्पेक्टर मुकेश कानूनगो की हत्या में भी शामिल था। जिसमें वह सजायाफ्ता बंदी है।
सख्ती से कर रहे कार्रवाई: जेल में बंद हार्डकोर अपराधियों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त बंदियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है तथा उनकी जेल ट्रांसफर कराई जा रही है। – प्रदीप लखावत, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, अलवर।