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अलवर

करणी माता मंदिर अलवर: राजा ने मान्यता पूरी होने पर कराई थी स्थापना, जानिए क्या है इतिहास

अलवर के करणी माता मंदिर में नवरात्र पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं। आइए जानते हैं मंदिर का इतिहास।

अलवरOct 18, 2020 / 02:43 pm

Lubhavan

Karni Mata Temple In Alwar History And Manyata

करणी माता मंदिर अलवर: राजा ने मान्यता पूरी होने पर कराई थी स्थापना, जानिए क्या है इतिहास,करणी माता मंदिर अलवर: राजा ने मान्यता पूरी होने पर कराई थी स्थापना, जानिए क्या है इतिहास

अलवर. अलवर पूर्व रियासत के द्वितीय शासक बख्तावर सिंह ने 1792 से 1815 के मध्य मन्नत पूरी होने पर बाला किला क्षेत्र में करणीमाता मंदिर की स्थापना कराई थी। पूर्व रियासतकाल के समय से यहां करणीमाता की प्रतिमा की पूजा अर्चना होती रही है। बाद में देवस्थान विभाग ने पूजा का दायित्व संभाल लिया।
अलवर की पूर्व रियासत से जुड़े नरेन्द्रसिंह राठौड़ बताते हैं कि पूर्व शासक बख्तावर सिंह अपनी पत्नी रूपकंवर के साथ बाला किला में रहते थे। एक दिन पूर्व शासक बख्तावर सिंह के पेट में अचानक असहनीय दर्द हुआ। नीम हकीमों के काफी इलाज के बाद भी जब पेट दर्द ठीक नहीं हुआ तो उनके दरबार के रक्षक बारैठ ने पूर्व शासक को मां करणी का ध्यान करने की सलाह दी। रक्षक की सलाह मान बख्तावर सिंह ने मां करणी का ध्यान किया।
तभी एक सफेद चील बाला किला पर आकर बैठी तो पूर्व शासक ने चील की ओर देखा। इसके बाद बख्तावर सिंह का पेट दर्द ठीक हो गया। इसी उपलक्ष्य में पूर्व शासक ने बाला किला परिसर में करणीमाता की स्थापना की। राठौड़ का कहना है कि पूर्व महारानी रूपकंवर देशनोक में स्थित करणीमाता की उपासक थी। उनका कहना था कि किसी श्राप के चलते पूर्व शासक के पेट में दर्द हुआ था। तभी से बाला किला परिसर में देवी करणीमाता के मंदिर में पूजा अर्चना की जाती रही है। सन 1982 में मंदिर परिसर के आसपास सफाई व वहां तक पहुंचने के लिए सडक़ बनने के बाद लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ी और फिर नवरात्र में वहां मेला भरने लगा।

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