अलवर में हर साल होता है भगवान जगन्नाथ व जानकी का विवाह मंदिर के महंत पंडित राजेंद्र शर्मा ने बताया कि रविवार को मंदिर परिसर में ही शाम 6 बजे भगवान जगन्नाथ की सवारी प्रतिकात्मक रूप से निकाली जाएगी। इसमें महंत परिवार व मंदिर से जुडे कुछ सेवादार ही शामिल होंगे। इसमें वैक्सीन लगने वालों को ही शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि अलवर में आयोजित होने वाला जगन्नाथ महोत्सव सबसे विशेष होता है क्योंकि इस महोत्सव में प्रतिवर्ष जगन्नाथ व जानकी मैया का विवाह करवाया जाता है। अलवर के अलावा भगवान जगन्नाथ के विवाह की परंपरा भारत में और कहीं नहीं होती है।
भक्तों ने किए ऑनलाइन दर्शन इस दौरान महंत परिवार के सदस्य व कार्यक्रम से जुडे भक्तों ने विशेष पीले रंग की पोशाक व दुपट्टा पहना हुआ था। कोरोना के चलते इस तरह मंदिर परिसर में निकलने वाली इस अनूठी यात्रा का अनुभव भी सबसे अलग था। जहां मंदिर में सवारी निकलने के दौरान हर तरफ श्रद्धा व आस्था का माहौल बना हुआ था, वहीं श्रदलुओं ने घर बैठे ऑनलाइन ही भगवान के दर्शन किए। इस छोटे विमान को श्रद्धालु भक्त रस्सी के सहारे खींच रहे थे।
72 घंटे बाद हुए भगवान जगन्नाथ के दर्शन, नहीं मिला प्रसाद आषाढ मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी को जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ का भात, जगत पसारे हाथ कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना प्रोटाकाल के तहत यह आयोजन भी प्रतिकात्मक रूप से ही हुआ। दोपहर 12 बजे 72 घंटे बाद भगवान जगन्नाथ के पट खोले गए और महाआरती हुई। इसके बाद भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। प्रतिवर्ष भगवान की आरती के बाद पंचामृत व चावल का भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद दिया जाता है। मंदिर से जुडे बहुत से श्रद्धालु साल भर इस प्रसाद का इंतजार करते हैं, इसको लेने के बाद ही भोजन करते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के चलते प्रसाद का वितरण नहीं हुआ।