अलवर

घाटा कम करने की जगह मजे लूट रहे राजस्थान रोडवेज के सारथी

राजस्थान रोडवेज पहले ही घाटे में चल रही है। जिन बसों पर सारथी लगाए गए उन बसों में यात्री भार पहले ही अधिक है। ऐसे में रोडवेज का घाटा बढ़ रहा है।

अलवरJan 02, 2018 / 03:49 pm

Rajiv Goyal

घाटे से जूझ रही रोडवेज ने अपने वाहन बेड़े का अधिकाधिक उपयोग एवं आय में वृद्धि करने के लिए बस सारथी तो लगा दिए, लेकिन ये सारथी रोडवेज का घाटा पाटने की जगह आय वाले रूटों पर मजे लूट रहे हैं। इसका खुलासा आरटीआई से हुआ। रोडवेज ने 1 जनवरी 2016 से पूरे प्रदेश में बस सारथी योजना शुरू की। इसके तहत 70 प्रतिशत से कम यात्रीभार वाले रूटों पर बस सारथी लगाए जाने थे। निगम ने बस सारथी के लिए टारगेट भी निर्धारित किए।
इसके आधार पर उन्हें निश्चित वेतन सहित अन्य परिलाभ दिए जाने थे, लेकिन रोडवेज के अलवर आगार में अधिकारियों ने इन सारथियों को कम यात्रीभार वाले रूटों की जगह अधिक यात्रीभार वाले रूटों पर लगा दिया। इससे रोडवेज की स्थिति सुधरने की जगह और बिगड़ गई। अधिक यात्रीभार वाले रूटों पर रोडवेज को पहले ही आशानुरूप आय प्राप्त हो रही थी। बस सारथियों के लगने से इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई, बल्कि बस सारथियों को दिए जाने वाला वेतन और खर्चे में शामिल हो गया।

नियमों को रखा ताक पर: अलवर आगार के अधिकारियों ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर अगस्त माह में चार बस सारथियों को 70 प्रतिशत से अधिक यात्रीभार वाले रूटों पर लगा दिया। सितम्बर-अक्टूबर में भी ये सारथी इन मार्गों पर चलते रहे। नवम्बर में इसकी जानकारी के लिए आरटीआई लगाई गई, तो रोडवेज अधिकारियों ने बस सारथियों को 70 प्रतिशत से कम यात्रीभार वाले रूटों पर लगा दिया।
ये भी पड़ा असर

कम यात्रीभार वाले मार्गों की जगह कमाई वाले मार्गों पर बस सारथियों को लगाए जाने पर परिचालकोंं ने भी विरोध जताया। दरअसल, बस सारथियों के आने से रोडवेज अधिकारियों की बन निकली। उन्होंने जिन चालक-परिचालकों से उनकी खटपट चल रही थी, उनकी जगह बस सारथी लगा दिए। इससे परिचालकों का भी मनोबल टूट गया और रोडवेज की आय बढऩे की जगह घट गई।

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