अलवर

अवैध खनन के जाल में जकड़ी अरावली की पहाडिय़ां, खुद प्रशासन की कार्रवाई कर रही खुलासा

अलवर. जिले की अरावली पर्वतमाला अवैध खनन की जकड़ में आने से ज्यादातर पहाड़ अस्तित्व खो चुके हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) कई प्रकरणों के फैसले जिले में अवैध खनन पर मुहर लगा चुकें है, वहीं उच्चतम न्यायालय भी अलवर जिले में अवैध खनन को लेकर तल्ख टिप्पणी कर चुका है।

अलवरAug 27, 2021 / 12:10 am

Prem Pathak

अवैध खनन के जाल में जकड़ी अरावली की पहाडिय़ां, खुद प्रशासन की कार्रवाई कर रही खुलासा

अलवर. जिले की अरावली पर्वतमाला अवैध खनन की जकड़ में आने से ज्यादातर पहाड़ अस्तित्व खो चुके हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) कई प्रकरणों के फैसले जिले में अवैध खनन पर मुहर लगा चुकें है, वहीं उच्चतम न्यायालय भी अलवर जिले में अवैध खनन को लेकर तल्ख टिप्पणी कर चुका है।
सीईसी की रिपोर्ट ने भी अलवर जिले की 128 पहाडियों के सर्वेक्षण के दौरान 1967-68 से 31 पहाडियां गुम माना। इसके अलावा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के सेटेलाइट सर्वे में अलवर जिले में 274 स्थानों पर अवैध खनन पाया गया। जिले में अवैध खनन की यह भयावह तस्वीर जिले के पर्यावरण संतुलन को विचलित करने वाली है।
एनजीटी ने माना जिले को करीब 430.80 करोड़ का हुआ नुकसान

एनजीटी ने अलवर जिले से जुड़े एक प्रकरण में माना कि अवैध खनन से जिले को 430.80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अवैध खनन के चलते अलवर जिले की अरावली पहाडिय़ों से 52283390 मीट्रिक टन मिनरल्स निकाला गया। इसमें से ज्यादातर मिनरल्स अवैध तरीके से परिवहन कर हरियाणा भेजा गया। जिला कलक्टर अलवर ने एनजीटी को पेश रिपोर्ट में जिले में करीब 480.80 करोड़ रुपए के नुकसान का आंकलन किया है। यही कारण है कि एनजीटी को पूर्व में जिले में हुए नुकसान की भरपाई हरियाणा के क्रशरों से करने के आदेश देने पड़े। वहीं अब सरिस्का व आसपास के 10 किलोमीटर की परिधि में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ की स्वीकृति के बिना खनन गतिविधियों पर रोक लगी है। अवैध खनन के चलते अलवर जिले में अरावली की पहाडियां गुम होने के साथ ही उनका कद घट गया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से वर्ष 2002 में अरावली पर्वतमाला में खनन पर प्रतिबंध लगाने और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की मंजूरी के बिना खनन कार्य रोक के बावजूद जिले में अवैध खनन जारी रहा। खुद सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) की 2018 की रिपोर्ट में राजस्थान में 1967-68 से अवैध खनन के कारण अरावली रेंज का 25 प्रतिशत हिस्सा गुम होना बताया गया है। इस रिपोर्ट में अलवर जिले की 128 पहाडियों के सर्वेक्षण के दौरान 1967-68 से 31 पहाडियां गुम मिली।
सेटेलाइट सर्वे में 274 स्थानों पर मिला अवैध खनन

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के सेटेलाइट सर्वे में 274 स्थानों पर अवैध खनन पाया गया, इनमें 225 इलाके अलवर और 49 कोटपूतली खनि अभियंता कार्यालय क्षेत्र में हैं। जिनमें पहाड़ और 142 वन क्षेत्र भी शामिल हैं। अरावली में अवैध खनन का पता लगाने के लिए राज्य के 17 जिलों में सेटेलाइट सर्वे कराया गया था।
पहाड़ से पत्थर तोड़ बना रहे मकान, जिम्मेदार मौन

जिले में अवैध खनन तेजी से पांव पसार रहा है, वहीं जिम्मेदार मौन साधे बैठे हैं। इन दिनों पहाड़ी क्षेत्रों में लोग पहले पत्थर तोड़ पास में ही मकान बनाते है। यदि इसका विरोध नहीं होता और जिम्मेदार विभागों का ध्यान नहीं जाता है तो बाद में यहां से लोग धीरे-धीरे कर अवैध खनन कर पत्थर निकाल कर बाहर भेजना शुरू कर देते हैं। इस पर किसी का ध्यान या विरोध नहीं होता है तो बड़े खनन माफिया यहां स्थानीय लोगों की मदद से बड़े पैमाने पर अवैध खनन शुरू कर देते हैं, जो कि बाद में बड़ी समस्या का रूप ले लेती है।
प्रशासन की कार्रवाई भी अवैध खनन की गवाह

वर्ष प्रकरण अवैध खनन से वसूली राशि एफआइआर
2017-18 158 48.30 14
2018-19 182 95.10 06
2019-20 203 256.50 14
2020-21 214 164.32 33
2021-22 51 41.05 15
(17 अगस्त 2021 तक)
अवैध खनन के खिलाफ निरंतर कार्रवाई जारी

जिले में अवैध खनन के खिलाफ निरंतर कार्रवाई जारी है। सूूचना मिलने पर विभागीय कर्मचारी जाकर अवैध खनन रूकवाने की कार्रवाई करते हैं। चोरी छिपे अवैध खनन सामग्री का परिवहन करते पाए जाने पर पेनल्टी व सामग्री व वाहन जप्ती की कार्रवाई की जाती है।
केसी गोयल

खनि अभियंता अलवर

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