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अलवर में बढ़ता जा रहा ऑनलाइन सट्टे का अवैध कारोबार, आखिर क्या है वजह?

अब कई बड़े बुकी और सटोरिये परम्परागत सट्टा छोड़ चुके हैं और ऑनलाइन सट्टा बाजार में उतर चुके हैं। बुकी अब महादेव व शैफरोन जैसे विभिन्न नामों से चलने वाले ऑनलाइन सट्टा ऐप का मास्टर खरीदते हैं और

अलवरNov 19, 2024 / 12:03 pm

Rajendra Banjara

ऑनलाइन सट्टा बाजार अलवर में गहरी जड़ें जमा चुका है। बड़े बुकी विभिन्न ऑनलाइन सट्टा ऐप की ग्राहकों को आईडी बांट रहे हैं। जिस पर क्रिकेट सहित अलग-अलग गेम्स पर लोग रोजाना करोड़ों रुपए का सट्टा लगा रहे हैं। वहीं, दिल्ली मटका या नम्बरों वाला सट्टा भी अब ऑनलाइन हो चुका है। सटोरिए अपने व्हाट्सएप या टेलीग्राम ऐप के जरिए सट्टा खेल रहे हैं। ताकि पुलिस की कार्रवाई से बच सकें।
पहले सभी बुकी एलईडी व लैपटॉप आदि का सेटअप लगा अपनी पूरी टीम को होटल या फ्लैट आदि में बैठाकर लोगों को मोबाइल कॉल के जरिए क्रिकेट सट्टा लगवाते थे। पुलिस पिछले कुछ साल में इन सटोरियों पर शिकंजा कसा और कई बड़े सटोरियों की धरपकड़ की। पुलिस की सख्ती को देखते हुए बुकी और उनके ग्राहकों ने अपने धंधे का ट्रेंड बदल दिया है।
अब कई बड़े बुकी और सटोरिये परम्परागत सट्टा छोड़ चुके हैं और ऑनलाइन सट्टा बाजार में उतर चुके हैं। बुकी अब महादेव व शैफरोन जैसे विभिन्न नामों से चलने वाले ऑनलाइन सट्टा ऐप का मास्टर खरीदते हैं और फिर अपने ग्राहकों को नकद पैसा लेकर सट्टा ऐप की आईडी बनाकर बेचते हैं। ग्राहक अपने मोबाइल में ये आईडी चलाकर क्रिकेट समेत कई गेम पर ऑनलाइन सट्टा लगा रहे हैं।

कई जगह चल रहा सट्टा, पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

अलवर शहर में अखैपुरा, लादिया मोहल्ला चौकी स्कूल के पास, होली ऊपर, सागर ऊपर, महल चौक, हजूरी गेट, पहाड़गंज मोहल्ले में देवीजी के मंदिर से आगे पीपल के पेड़ के पास, अशोका टाकीज के आसपास, गोपाल टाकीज के पीछे, केडलगंज, सामान्य अस्पताल की पुरानी कोविड जांच लैब के बाहर, लखंडावाला कुआं, केशव नगर, स्वर्ग रोड, धोबीगट्टा, बुधविहार, शिवाजी पार्क, नयाबास, कालाकुआं, एनईबी, दाउदपुर व अपनाघर शालीमार सहित अनेक इलाकों में सट्टा चल रहा है। पुलिस को इन सभी ठिकानों के बारे में पता है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही।
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सट्टा पर्ची लेने का चलन बंद

दिल्ली, महालक्ष्मी, गली, दिशावर, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे नामों से 0 से 99 नम्बरों तक का सट्टा चल रहा है। कुछ बड़े सटोरिए खुद का मटका भी चला रहे हैं। इन नामों से सट्टा लगवाने वाले सटोरिए पहले खोखे, चाय की थड़ी या अपने किसी ठिकाने पर बैठकर ग्राहकों को सट्टा पर्ची देते थे, लेकिन अब नम्बरों के सट्टे में बदलाव आ गया है। अब सटोरिए अपने ग्राहकों से वाट्सऐप और टेलीग्राम ऐप के जरिए नम्बरों का सट्टा लगवा रहे हैं। ताकि उन्हें पुलिस नहीं पकड़ सके।
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