सामान्य अस्पताल में पिछले दिनों एक भर्ती मरीज की ब्लड जांच किए बिना ही उसे दूसरे ग्रुप का खून चढ़ाने वाले नर्सिंगकर्मी पर अस्पताल प्रशासन मेहरबान है।मामले में अस्पताल प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्लेसमेंट एजेंसी के एक नर्सिंगकर्मी को दोषी मानते हुए हटा दिया था, लेकिन बाद में मामला ठंडा होते ही गुपचुप तरीके से उसे जनाना अस्पताल में नियुक्ति दे दी गई। अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली की यह तो एक बानगी मात्र है। इससे पहले भी अस्पताल में महिला मरीजों के साथ छेड़छाड़ सहित कई गंभीर प्रकरणों को जांच के नाम पर दबाने का खेल लंबे समय से चलता रहा है।
जांच कमेटी ने भी माना था दोषी
अस्पताल में गलत खून चढ़ाने का मामला उजागर होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। वहीं, कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में नर्सिंगकर्मी को दोषी मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी। आरोपी नर्सिंगकर्मी ने भी कमेटी के समक्ष अपनी गलती कबूल की थी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर जांच कमेटी की सिफारिश के बाद भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई और किस के दबाव में आरोपी को फिर से जनाना अस्पताल में लगाया गया ? यह भी पढ़ें
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