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अलवर। चुनाव आयोग ने भले ही 85 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग मतदाताओं को होम वोटिंग का अधिकार दिया हो, लेकिन वोटिंग के लिए घर-घर जाने वाली टीमों के पसीने आ जाते हैं। विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ और इस बार भी लोकसभा चुनाव में यही संभावनाएं बन रही हैं। सर्वे के दौरान परिवार के लोगों ने मतदान करवाने की हामी भरी थी। लेकिन बुजुर्ग मतदाता अधिक उम्र के विकारों के चलते तमाम सवाल करते हैं। कुछ मतदाताओं की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती।
ऐसे में होम वोटिंग का शत-प्रतिशत होना आसान नहीं है। अभी तक होम वोटिंग के लिए 2 हजार मतदाताओं ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है, जबकि प्रदेश में 85 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या करीब 43 हजार हैं।
विधानसभा चुनाव में करीब 6 हजार लोगों ने होम वोटिंग का विकल्प चुना। जैसे ही टीमें घर-घर पहुंचीं तो कई बुजुर्ग मतदाताओं ने मतदान करने से मना कर दिया। कई बुजुर्ग ऐसे भी थे, जिनके हाथ काम नहीं कर पा रहे थे। वह ठीक से बैलेट पेपर को देख नहीं पा रहे थे। पहले चरण में कई लोग मतदान नहीं कर पाए, लेकिन दूसरे चरण में परिवार के सदस्यों की मदद से बुजुर्ग मतदान कर पाए। उस समय भी शत-प्रतिशत मतदान नहीं हुआ था, जबकि इस अभियान का मकसद था कि वोट प्रतिशत बढ़े और हर कोई अपने मत का प्रयोग कर सके।
निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इस बार भी करीब 2 हजार लोग होम वोटिंग करेंगे। इसमें 86 साल से अधिक आयु के हैं। इस आयु से अधिक उम्र के मतदाताओं के सामने तमाम समस्या होती हैं। चलने-फिरने के अलावा मानसिक स्थिति, आंखों से न दिखना आदि हैं। घर-घर जाने वाली पोलिंग पार्टियों को उसी तरह प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि ऐसे स्थिति में वह बुजुर्गों को समझाकर उनसे वोट करवा सकें।
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Published on:
29 Mar 2024 08:53 pm
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