पांडुपोल मंदिर का इतिहास
बाबा पांडुपोल का इतिहास आज से 5000 वर्ष पूर्व में महाभारत काल से है। सरिस्का जंगल में स्थित इस मंदिर के स्थान पर ही बजरंग बलि ने महाबली भीम को पांडुपोल में दर्शन दिए थे। जहां भगवान हनुमान जी ने भीम के घमंड को तोड़ा था। यह भी पढ़ें
राजस्थान में मानसून को लेकर बड़ी खुशखबरी, इस बार ताबड़-तोड़ होगी बारिश
जानें क्या है पूरी सच्चाई
पांडवों के वनवास के दौरान भीम के जंगल से गुजरने के दौरान रास्ते में एक बुजुर्ग वानर अपनी पूंछ को रास्ते में फैलाए सोता मिला। भीम ने शक्ति व बल के अहंकार वश वानर को जगाया और बुजुर्ग वानर से रास्ते से पूंछ हटाने को कहा। वानर ने अपनी बुजुर्ग अवस्था का हवाला देकर भीम से कहा कि वह खुद ही उसकी पूंछ को हटाकर दूसरी जगह रख दे। भीम ने बुजुर्ग वानर की पूछ को हटाने के लिए उठाने का प्रयास किया, लेकिन पूंछ को हिला तक नहीं पाया। यह देख भीम ने बुजुर्ग वानर को नमन किया और अपना वास्तविक रूप धारण करने का आग्रह किया। हनुमान के अपने वास्तविक रूप में आने पर भीम को गलती का अहसास हुआ। तभी से इस स्थल पर बनी शिला प्राकृतिक रूप में हनुमान की लेटी प्रतिमा के रूप में पूजी जाने लगी।