गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 के बालक-बालिकाओं को पोषाहार दिया जाता है, जिसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा 1 से 5 के प्रत्येक बच्चे के लिए 5 रुपए 45 पैसे तथा कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए 8 रुपए 17 पैसे की राशि निर्धारित की गई। पोषाहार के लिए सामग्री की खरीद विद्यालय के पोषाहार प्रभारी की ओर से स्थानीय दुकानदार से की जाती है और विभाग की ओर से भुगतान आने पर उसकी उधारी चुकाई जाती है। अब इस भुगतान को आए करीब 12 माह का समय हो गया है, जिसके कारण दुकानदार शिक्षकों से अपनी उधारी का तगादा कर रहे हैं और आगे से उधार देने से मना कर दिया है।
इसके अलावा पोषाहार बनाने के लिए विद्यालयों में कुक-कम हेल्पर लगाए गए है, जिन्हें मानदेय के रूप में महज 2143 की राशि प्रति माह निर्धारित की गई है। नामांकन के आधार पर किसी विद्यालय में एक तो किसी में एक से अधिक कुक कम हेल्परों की नियुक्ति मानदेय के आधार पर की गई थी। इनका भुगतान भी करीब एक साल से विभाग की ओर से नहीं किया गया है। विद्यालय संस्था प्रधान असमंजस में है कि इनका भुगतान करें तो कैसे करे। भुगतान न होने के कारण कई स्कूलों में तो ये कार्य छोडने को मजबूर है। कई विद्यालयों में कार्यरत कुक-कम हेल्पर ने तो खाना बनाना भी छोड़ दिया। ये ही स्थिति रही तो सभी विद्यालयों में आने वाले समय में बच्चों को खाने के लाले पड़ जाएंगे।
विद्यालयों का लाखों का बकाया रामगढ ब्लाॅक के लगभग 224 सरकारी विद्यालयों में से 71 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें नौनिहालों के पोषाहार का खाना विद्यालय प्रबंधन एवं विकास समिति की ओर से तैयार किया जाता है। ऐसे में इन विद्यालयों में दिसंबर 2023 के बाद से पोषाहार की कोई भी राशि विभाग की ओर से नहीं दी गई। ऐसे में एक-एक सरकारी स्कूल का ही लाखों का बकाया विभाग पर हो चुका है। महात्मा गांधी विद्यालय कोटाकला के प्रधानाचार्य बनवारीलाल का कहना है कि विद्यालय में कुक-कम हेल्पर का वेतन नहीं मिलने के कारण उनके दोनों कुक-कम हेल्पर पिछले महीने से ही काम छोडकऱ चले गए। अब नए कुक -कम हेल्पर रखे हैं। एक विद्यालय के संस्था प्रधान का कहना है कि उन्होंने 1 जुलाई से पहले ही संस्थागत एमडीएम वितरण के लिए आवेदन भिजवाया था, लेकिन अभी तक आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ है और अब कुक-कम हेल्पर काम छोडऩे की धमकी दे रहे हैं। जिला पोषाहार प्रभारी बताते है कि जैसे-जैसे बजट आ रहा है, वैसे-वैसे स्कूलों को भुगतान कराया जा रहा है। बजट के अभाव के कारण ये बिल अटके हुए हैं।
शीघ्र निस्तारण कराया जाएगा कुक-कम हेल्पर सहित कुकिंग कन्वर्जन राशि के सितम्बर माह तक के बिल बना कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजे हुए हैं। जनवरी माह से बिल अटके हुए हैं। उच्चाधिकारयों से बात कर इनका शीघ्र निस्तारण कराया जाएगा।
रमेश गांधी अतिरिक्त ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी, रामगढ। ………….. बिल बनाकर ट्रेजरी भिजवाए हुए है बिल बनाकर ट्रेजरी भिजवाए हुए है, जैसे ही बजट स्वीकृत होगा, तुरन्त भुगतान हो जाएगा। जयप्रकाश शर्मा अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक, अलवर।