अलवर जिले में 16 से 30 साल तक न जाने कितने ही ऐसे युवा हैं, जो चरस-गांजा और स्मैक की गिरफ्त में हैं। इनमें युवतियों की संख्या भी काफी अधिक है। युवक और युवतियां पार्क या सुनसान इलाकों में जाकर दिन में कई बार सिगरेट या ओसीबी पेपर (सफेद बटर पेपर) में चरस-गांजा भरकर फूंकते हैं तथा स्मैक का सेवन करते हैं। अलवर के काफी युवा इसे अपना शौक मानते हैं। यार-दोस्तों में टशन दिखाने के लिए अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक अकाउंट पर चरस-गांजा फूंकते और स्मैक व शराब का सेवन करते फोटो-वीडियो तक अपलोड करते हैं।
नशे के सौदागरों के ठिकानों तक पहुंच रहीं युवतियां
शहर के खारबास कच्ची में पेट्रोल पम्प के बगल वाली सड़क पर मोबाइल टावर के पास, गणेश गुवाड़ी में बराई माता मंदिर के समीप चढ़ाई पर एक दुकान में, स्कीम-तीन फैमिली लाइन में पुराना टीवी टावर के पीछे वाली गली में, चमेली बाग सामुदायिक भवन के पास, अखैपुरा वाल्मीकि बस्ती, प्रतापबंध तिराहा व वन विभाग चौकी के आसपास, लादिया मोहल्ला नई सड़क, अशोका टाॅकीज के समीप, महल चौक, पुराना कटला सुभाष चौक, सागर ऊपर, हजूरी गेट मोहल्ला, पहाड़गंज मोहल्ले में देवीजी के मंदिर से आगे पीपल के पेड़ के पास, फूटीखेल, मालन की गली, रूपबास रोड, मूंगस्का, एनईबी, नयाबास, कालाकुआं, विवेकानंद नगर, अग्रसेन चौराहा के समीप दुकानों पर, अग्रसेन ओवरब्रिज के नीचे, बहरोड़ रोड व आरटीओ ऑफिस के आसपास, विजय मंदिर, डहरा, चिकानी आदि नशे के सौदागरों के ठिकाने हैं। यहां चरस-गांजा और स्मैक आदि अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं। नशे के सौदागरों के इन ठिकानों पर नशे के आदी युवकों के साथ-साथ युवतियां भी खूब पहुंच रही हैं। यह भी पढ़ें
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यहां फूंकते हैं चरस-गांजा
अलवर शहर में चरस-गांजा और सिगरेट फूंकने या स्मैक का सेवन करने के कई ठिकाने बन चुके हैं। मोती डूंगरी के ऊपर व मोती डूंगरी पार्किंग, बायो डायवर्सिटी पार्क, प्रतापबांध, महल चौक, सागर ऊपर के आसपास, मूसी महारानी की छतरी, किशनकुंड, शांतिकुंज कॉम्पलेक्स, स्कीम-एक, स्कीम-दो, जीडी कॉलेज के पीछे, शिवाजी पार्क कॉम्पलेक्स सहित शहर में जगह-जगह चाय की थडि़यों पर बैठकर युवा नशे का सेवन कर रहे हैं। पत्रिका व्यू
परिजन और समाज भी उतने ही जिम्मेदार युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकलने के पीछे जितनी जिम्मेदार पुलिस है, उससे भी कहीं ज्यादा जिम्मेदार उनके पेरेंट्स और समाज है। युवक-युवतियां जब नशे की लत में पड़ते हैं तो उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है। वे अपने पर्स या जेब में नशे का सामान रखते हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी नशे की फोटो-वीडियो अपलोड कर रहे हैं, लेकिन पेरेंट्स का उन पर जरा भी ध्यान नहीं देते। अपने बच्चों को नशे की लत से दूर रखने या बचाने के लिए पेरेंट्स को उनके व्यवहार में बदलाव पर ध्यान रखना चाहिए। बच्चों से ऐसा व्यवहार रखें कि वे खुद को अकेला महसूस न करें तथा हर बात अपने पेरेंट्स से शेयर करें। पेरेंट्स अपने बच्चों की संगत, सोशल मीडिया अकाउंट और गतिविधियों पर निगरानी भी रखें। ताकि वे नशे की लत से दूर रखा जा सके।
परिजन और समाज भी उतने ही जिम्मेदार युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकलने के पीछे जितनी जिम्मेदार पुलिस है, उससे भी कहीं ज्यादा जिम्मेदार उनके पेरेंट्स और समाज है। युवक-युवतियां जब नशे की लत में पड़ते हैं तो उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है। वे अपने पर्स या जेब में नशे का सामान रखते हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी नशे की फोटो-वीडियो अपलोड कर रहे हैं, लेकिन पेरेंट्स का उन पर जरा भी ध्यान नहीं देते। अपने बच्चों को नशे की लत से दूर रखने या बचाने के लिए पेरेंट्स को उनके व्यवहार में बदलाव पर ध्यान रखना चाहिए। बच्चों से ऐसा व्यवहार रखें कि वे खुद को अकेला महसूस न करें तथा हर बात अपने पेरेंट्स से शेयर करें। पेरेंट्स अपने बच्चों की संगत, सोशल मीडिया अकाउंट और गतिविधियों पर निगरानी भी रखें। ताकि वे नशे की लत से दूर रखा जा सके।
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युवतियों के लिए ज्यादा खतरनाक
नशे की लत के कारण महिलाओं में विटामिन्स की कमी हो जाती हैं और वे कुपोषण की शिकार हो जाती हैं। इससे उन्हें इनफर्टिलिटी में परेशानी आती है तथा प्रेग्नेंसी के दौरान भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अबोर्शन के चांस भी ज्यादा रहते हैं। मेडिकल डिस्आर्डर होने के कारण उन्हें बीपी, शुगर, लंग्स व हार्ड सम्बन्धी बीमारी तथा कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। डॉ. कल्पना माथुर, गाइनोकोलॉजिस्ट, जनाना अस्पताल