अलवर

मुनाफा तो दूर की बात, प्याज की फसल से लागत मूल्य निकलना भी मुश्किल

प्याज ने बना दिया किसानों को कर्जदार

अलवरDec 24, 2024 / 07:47 pm

Ramkaran Katariya

नौगांवा (अलवर). प्याज के बढते भाव से किसान वारे न्यारे हो गये थे, वहीं इस बार भी मुनाफे की आस में बोई गई प्याज की फसल से मुनाफा तो दूर की बात किसानों की लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहा। जिससे किसान इस फसल के कारण कर्जदार होने लगे हैं।
कई किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी ज़मीन को गिरवी रखकर अथवा पैसा उधार लेकर प्याज की फसल इस आस में लगाई कि पुराने कर्जे को चुका देंगे, लेकिन किसानों की प्याज बाजार में 10 से 15 रुपए थोक भाव में बिक रही है, जबकि मंडी पहुंचने तक का खर्चा 18 से 20 रुपए किलो का आ रहा है।
प्याज उत्पादन में घाटा

गौरतलब है कि मेवात अंचल में किसानों की ओर से हर वर्ष प्याज की फसल को प्राथमिकता से बोया जाता है। सहायक निदेशक सांख्यिकी डाॅ.अरविन्द के अनुसार इस बार अलवर जिले के किसानों की ओर से 2500 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की बुवाई की और जिले में 15 मीट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान था। प्याज उत्पादन के कारण किसान भारी आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने एक जिला, एक प्रोडक्ट योजना के तहत अलवर जिले की खरीफ की प्याज को चुना है। यह योजना इस क्षेत्र की प्याज की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को पहचान देती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि किसान इस पहचान का लाभ उठाने के बजाय अपनी फसल घाटे में बेचने को मजबूर हैं। साहोडी के किसान उमर खां ने बताया कि बहुत अच्छी क्वालिटी की प्याज की बुवाई की, इसके लिए डढीकर गांव में जमीन ली पर ली। 125 मण का बीघा हुआ, लेकिन भाव न मिलने से उल्टा कर्जदार हो गया। जानकारों के अनुसार प्याज पर निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत होने के कारण किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। प्याज के उत्पादन पर किसानों का खर्च 18 से 20 रुपए प्रति किलो आता है। इसमें बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी और मंडी तक पहुंचने का खर्चा शामिल है। इसके बावजूद मंडियों में प्याज का भाव 10 से 15 रुपए प्रति किलो तक ही मिल रहा है। यह स्थिति किसानों के लिए नुकसान का कारण बन रही है। किसानों का कहना है कि सरकार ने प्याज उत्पादन को प्रोत्साहन तो दिया है, लेकिन इसके विपणन और उचित मूल्य दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
ये है किसानों का प्याज का गणित

1.

पाटन के किसान गुलशन कुमार ने बताया कि 50 किलो के कटटे को मंडी तक ले जाने में 242 रुपए का खर्चा आ जाता है, जिसमें 100 रुपए भाडा, 100 रुपए कटाई, 22 रुपए का कटटा, 20 रुपए की पल्लेदारी के अलावा फसल में खाद बीज का खर्चा अलग। तब जाकर एक कटटा बाजार में 600 से 700 रुपए में बिकता है, जिससे लागत भी बडी मुश्किल निकलती है।
2.

खोहर के किसान राकेश कुमार मजोका ने बताया कि प्याज की एक बीघा फसल में लागत 70 से 80 हजार रुपए है, जिसमें 30 हजार का बीज, 15 हजार का खाद और दवा, 20 हजार की प्याज को लगाने और काटने की मजदूरी और 5 हजार जुताई में आता है। एक बीघा में 35-40 क्विण्टल पैदावार होती है। करीब डेढ बीघा में एक लाख 35 हजार की लागत से प्याज की बुवाई की, लेकिन प्याज को बेचने से उसकी लागत मूल्य भी नहीं निकल पाई।

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