अलवर

जयसमंद बांध व तालाबों में कभी होता था मछली पालन, अब अनदेखी का हो रहे शिकार

केसरपुर की सरकारी भूमि पर राजस्व विभाग नहीं कर रहा निशानदेही और पैमाइश, कर रहे लोग कब्जा

अलवरJul 24, 2024 / 05:26 pm

Ramkaran Katariya

मालाखेड़ा. रियासत कालीन जयसमंद बांध के भराव क्षेत्र के अलावा बहाव क्षेत्र में भी इन दिनों अतिक्रमण करने वाले प्रशासन के साथ तू डाल-डाल मैं पात-पात वाली आंख-मिचौनी का खेल खेल रहे हैं। सरकारी भूमि की अभी तक निशान देही और पैमाइश नहीं हो पा रही है, जिसके परिणाम जयसमंद बांध अनदेखी का शिकार हो रहा है। साथ ही सरकारी भूमि पर प्लाॅटिंग का कार्य हो रहा है।
रियासत काल समय से लेकर आज से 20 वर्ष पूर्व तक यहां मछली पालन होता था। मत्स्य विभाग के अधीन वह सभी पक्के तालाब और कुंड के पास से सड़क बनाकर अतिक्रमण किया जा रहा है, लेकिन राजस्व विभाग सहित प्रशासन की उदासीनता के चलते अतिक्रमण करने वालों के हौसले बुलंद है। यह सब कुछ हो रहा है। सरपंच केसरपुर नुसरत आदि का कहना है कि इस बाबत उपखंड अधिकारी अलवर को पत्र लिखकर गोचर, सिवायचक तथा अन्य सरकारी जमीन पर पौधरोपण के लिए जमीन की निशानदेही व पैमाइश करने की मांग की गई थी। पत्र भी लिखा है। जिला परिषद तथा पंचायत समिति की ओर से पौधे लगाने का लक्ष्य भी मिला है, लेकिन मौके पर सिवायचक, गोचर भूमि की वस्तुस्थिति नक्शे के मुताबिक राजस्व विभाग ने अभी तक निशानदेही निर्धारित नहीं की है, जिसके चलते पौधरोपण नहींं हो रहा। इस बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमण करने वालों की पूरी नजर है।
यह बोले जिम्मेदार

इस मामले में तहसीलदार मालाखेड़ा मेघा मीणा का कहना है कि केसरपुर अलवर उपखंड के अधीन। ग्राम पंचायत केसरपुर अलवर उपखंड के अधीन आती है। उसके बारे में अलवर तहसीलदार या अलवर उपखंड अधिकारी ही जानकारी दे सकेंगे। वहीं उपखंड अधिकारी मालाखेड़ा देवी सिंह का कहना है कि अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत केसरपुर पंचायत समिति उमरैण में आती है और उपखंड कार्यालय अलवर के अधीन आता है। वहां की भूमि तथा वस्तु स्थिति की जानकारी अलवर उपखंड अधिकारी ही बता पाएंगे। उपखंड अधिकारी अलवर प्रतीक चंद्रशेखर जूईकर का कहना है कि केसरपुर पंचायत के सरपंच ने सरकारी जमीन पैमाइश के लिए पत्र दिया है, लेकिन उसकी निशानदेही और पैमाइश नहीं हो पाई। अब फिर से टीम भेज कर सिवायचक, गोचर भूमि सभी की पैमाइश कर संबंधित विभाग व पंचायत को सरकारी कामकाज व पौधरोपण के लिए हस्थानांतरित करने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे यह सरकारी भूमि पूर्ण रूप से अतिक्रमण से मुक्त रहेगी।

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