अलवर

देशभर में प्रसिद्ध है तिजारा का जैन मंदिर, बेहद खास है इसका इतिहास

अलवर के तिजारा का चन्द्रप्रभ दिगम्बर देहरा जैन मन्दिर देश भर में प्रसिद्ध है, यहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

अलवरApr 10, 2018 / 04:45 pm

Prem Pathak

चमत्कारिक रूप से अर्थात स्वप्न के माध्यम से प्राप्त वर्तमान युग की चौबीसी के अष्टम तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु की 15 इंच की अवगाहना को लिए श्वेत मार्बल की अत्यन्त आर्कषक दिगम्बर जिन बिम्ब दिनांक 16 अगस्त 1956 गुरूवार को अभिजीत मुहुर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर भूगर्भ से प्राप्त हुई। नगर में स्थित लगभग 215 वर्ष प्राचीन श्री 1008 पाŸवनाथ जिनालय मे इन भगवान की मूर्ति को विराजमान किये जाने की समाज में चर्चाओं के बीच ही क्षेत्र पर विविध अतिशय होने लगे, लोगों की मनोतियां पूण होने लगी, दुख-दर्द मिटने लगे।
तभी देहरे पर ही नवीन जिनालय बनाये जाने का निर्णय लेना पडा। तभी से यह मन्दिर श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा के नाम से जाना जाता है। उतर भारत का प्रसिद्घ चन्द्रप्रभु दिगम्बर देहरा जैन मन्दिर पूरे विश्व मे प्रसिद्घ है। तिजारा का नाम आते ही लोगों को सबसे पहले यहां का देहरा जैन मन्दिर याद आता है। यहां देश भर से हजारों श्रद्घालु मन्दिर मे दर्शन करने के लिए आते है।
मन्दिर के पास निर्मित चन्द्रगिरी वाटिका भी लोगो का मन मोह लेती है। शिक्षा के क्षेत्र मे दो-दो महाविघालय एंव एक उच्च माध्यमिक विघालय शिक्षा के प्रति क्षेत्र की जागरूकता को दर्शाती है। वही जैन औषधालय के पास डिजीटल डिस्पेन्सरी की शुरूआत की गई है। जिसमे टेलीकॉम कॉन्फ्रेंस के जरिये विशेषज्ञ चिकित्सकों के विचार विमर्श किया जाता है। यहां पर 14 प्रकार के खून की जांच भी की जा रही है। जैन मन्दिर की ओर से होम्योपेथिक, दंत चिकित्सक व आयुर्वेदिक चिकित्सा, फिजियो थैरेपी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जैन मन्दिर मे जैन दर्शन पर आधारित म्यूजियम भी शीघ्र शुरू होने वाला है।
ऐतिहासिक भर्तृहरि गुम्बद एवं शंकरगढ़ आश्रम

तिजारा के दक्षिण में स्थित इस विशाल गुम्बद की गिनती उतरी भारत के बडे गुम्बदों व राजस्थान के सबसे बडे गुम्बद के रूप मे की जाती है। गुम्बद की ऊचांई 240 फुट है। जिसे भर्तृहरि गुम्बद कहा जाता है। यह गुम्बद अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्घ है। गुम्बद के पास ही सन् 1761 ई. मे मराठों द्वारा निर्मित शंकरगढ आश्रम श्रदालुओं का केन्द्र है। पुरातत्व विभाग के अधीन होने का बावजूद गुम्बद को पर्यटक स्थल के रूप मे विकसित करने के लिये विभाग की ओर से कोई दिलचस्पी नही दिखाई गई।
यदि पर्यटन विभाग गुम्बद को विकसित करता है तो क्षेत्र मे पर्यटन बढेगा। वही गुम्बद के पास शंकरगढ आश्रम मे स्थित भगवान शिव की प्राचीनतम चमत्कारी शिवलिंग स्थित है। जहां रोजाना सैकडों श्रदालु पूजा कर मन्नत मांगते है।
मौनी बाबा गौशाला आश्रम

कस्बे मे सूरजमुखी रोड पर स्थित मौनी बाबा गौशाला आश्रम स्थित है जिसमे करीब एक हजार से ज्यादा गाये है। गौशाला मे गायों के रहने के लिये कमरे एंव टीन शैड बनवाई गई है। गौशाला मे गायों की संख्या अधिक होने से गायों के चारे की उपलब्धता बडी समस्या रहती है। वही क्षेत्र मे बढती गौकशी को लेकर सुरक्षा की दृिष्ट से गौशाला के पास पुलिस चौकी खोलने की मांग भी रहती है।

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