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इस सरकारी स्कूल में 1 स्टूडेंट को पढ़ाने के लिए 12 टीचर, विभाग बन रहा अनजान

शिक्षा विभाग में हमेशा शिक्षकों की कमी का राग अलापा जाता है। कई स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है, लेकिन शिक्षक कम हैं। बार-बार गुहार के बाद भी विभाग यहां शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं करता।

अलवरMay 09, 2024 / 03:10 pm

Akshita Deora

शिक्षा विभाग में हमेशा शिक्षकों की कमी का राग अलापा जाता है। कई स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है, लेकिन शिक्षक कम हैं। बार-बार गुहार के बाद भी विभाग यहां शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं करता। मगर अलवर से अलग होकर बने कोटपूतली-बहरोड़ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डूमरौली नीमराणा का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां एक विद्ययार्थी को पढ़ाने के लिए 12 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इस अकेले विद्यार्थी के अध्यापन का खर्च हर महीने करीब 8 से 10 लाख रुपए आ रहा है। इसके बाद भी विभाग इन शिक्षकों को अन्य विद्यालय में अध्यापन के लिए नहीं लगा रहा। अभी यह स्कूल अलवर के मुय जिला शिक्षा अधिकारी के अंतर्गत आता है।

पहले 35 विद्यार्थियों ने कराया था नामांकन

नीमराणा की सरकारी स्कूल में पिछले साल 35 विद्यार्थियों को नामांकन कराया था। इस सत्र में केवल एक विद्यार्थी पढ़ाई के लिए आता है। कक्षा एक से लेकर कक्षा 12वीं तक स्कूल में कोई नामांकन नहीं है। विभाग की ओर से सभी 12 शिक्षकों को हर माह भुगतान कर रही है। नीमराणा सीबीईओ ने भी मामले को संज्ञान नहीं लिया है।
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कक्षा 9 में अध्ययनरत है छात्र

विद्यालय में केवल 6 घंटे के लिए कक्षा लगती है। रोजाना 5 से 6 शिक्षक ही अध्यन कार्य करवाते हैं। ऐसे में शेष शिक्षक क्या कर रहे हैं, इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। स्कूल का यह एकमात्र छात्र 9वीं कक्षा में अध्ययनरत है।

खाली पड़े 6700 पद

जिले की बात की जाए तो कुल 2788 स्कूलों में 27 हजार 724 शिक्षक, प्रिंसिपल, वाइज प्रिंसिपल सहित विभिन्न शैक्षणिक पद स्वीकृत हैं, जबकि वर्तमान 21 हजार से 38 पद भरे हुए है, जबकि 6700 से ज्यादा पद खली पड़े हैं।
डूमरौली ग्राम पंचायत में दो अन्य स्कूलों को क्रमोन्नत करने से विद्यार्थियों को पलायन हो गया है। साथ अभिभावकों की ओर से विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में भेजा जा रहा है। इस कारण नामांकन कम हो रहे हैं।
दिनेश शर्मा, स्कूल प्रधानाचार्य, डूमरौली

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