काठ नवे पर राठ ना नवै के लिए ख्यात क्षेत्र बहरोड़ अपनी आन बान शान के लिए दूर तक मशहूर है आजादी मे भी क्षेत्र का अपना योगदान रहा है।यह ऐतिहासिक कस्बा अब लगातार बदल रहा है।सत्रह वर्ष पूर्व कस्बा जंहा गांव सा नजर आता था वही अब वह बदल कर बड़े कस्बे का रूप ले चुका है। कस्बे के विकास के साथ ही आस पास क्षेत्र के गांव बहुत तेजी से बदल गए और अब वह गांव नहीं रहे। बढते औद्योगिक विकास और हाइवे पर बन रहे नवीन भवनो से बहरोड़ नीमराणा और शाहजहापुर के बीच की दूरिया भी सिमट कर लगातार कम होती जा रही है और सारा क्षेत्र रात को रौशनी मे नहा कर बड़े नगरो जैसा नजारा देता है। और क्षेत्र से गुजरने वाले लोग एक बार तो भ्रम मे आ जाते है की वह गुडग़ांव या दिल्ली के पास पहुच गए है। कस्बे मे तेजी से हो रहे विकास का असर अब आस-पास क्षेत्र मे भी दिखाई देने लगा है कस्बे के आस-पास हुए विकास के साथ -साथ अब ग्रामीण क्षेत्रो मे भी शिक्षण संस्थाओ के नवीन आधुनिक सुविधाओ वाले भवन बने है जंहा सभी तरह की शिक्षा की सुविधाए उपलब्ध है।
शिक्षा के क्षेत्र मे कस्बे के निजी शिक्षण संस्थान अब किसी से कम नही है यहा पर आधुनिक सुविधाओ के साथ बच्चो को आगे बढाने काम किया जा रहा है।
ऐतिहासिक धरोहरों की है भरमार
ऐतिहासिक धरोहरों की है भरमार
ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों की बहुतायत वाला है बहरोड़ कस्बा और आस-पास का ग्रामीण क्षेत्र जंहा अनेक किले और बावडिय़ा आज भी लोगों को लुभाती है। बहरोड़ कस्बे मे ऐतिहासिक मिट्टी का किला और बावड़ी वास्तुकला की धरोहर है।
वही क्षेत्र के ग्र्राम बर्डोद रूध में स्थित शिकारगाह महल आज भी लोगों को अपनी और खींचता है बर्डोद मे पुराना किला और हवेलिया भी देखने लायक थे जो अब जर्जर हो गए है। ग्राम तसींग मे पहाड़ पर स्थित पुराना किला और पांच मंजिला विशाल बावड़ी है जिसकी कारीगरी देखते बनती है।