अलवर

मोहब्बत में सरहद पार: अमेरिकी युवती को हुआ अलवर के युवक से प्यार… वैवाहिक बंधन में बंधे 

कहते हैं प्यार की कोई सीमा नहीं होती, एक बार फिर यह सच कर दिखाया है अलवर में किशनगढ़बास के बंबोरा गांव के दीपेंद्र सिंह चौधरी और अमेरिकी आर्किटेक्ट जैना ने।

अलवरDec 16, 2024 / 03:18 pm

Rajendra Banjara

कहते हैं प्यार की कोई सीमा नहीं होती, एक बार फिर यह सच कर दिखाया है अलवर में किशनगढ़बास के बंबोरा गांव के दीपेंद्र सिंह चौधरी और अमेरिकी आर्किटेक्ट जैना ने। 6 अक्टूबर को जब दोनों ने शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया, तो यह सिर्फ दो दिलों का मिलन नहीं था, बल्कि भारतीय और अमेरिकी संस्कृतियों के संगम की अनूठी मिसाल भी बनी। दीपेंद्र और जैना की प्रेम कहानी ने सिर्फ गांव के लोगों को नहीं, बल्कि हर उस दिल को छू लिया, जो प्यार में विश्वास करता है।

दीपेंद्र सिंह चौधरी, जो अमेरिका की इमोरी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और जैना की पहली मुलाकात न्यूयॉर्क में पांच साल पहले हुई थी। इस मुलाकात ने धीरे-धीरे एक गहरी दोस्ती और फिर प्यार का रूप ले लिया। दोनों ने शादी के लिए अपने गांव बंबोरा को चुना और जैना अपने परिवार के साथ भारतीय रीति-रिवाजों को आत्मसात करते हुए यहां पहुंचीं।

विदेशी लकड़ी बनी देसी अंदाज में दुल्हन

शादी के दिन गांव में उत्सव जैसा माहौल था। जैना ने पारंपरिक भारतीय परिधान पहनकर ग्रामीण संस्कृति का सम्मान किया। हल्दी से लेकर फेरे तक, हर रस्म में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया। गांव के लोगों ने विदेशी बहू का दिल खोलकर स्वागत किया। ग्रामीण महिलाओं के लोकगीतों और परंपरागत नृत्य में जैना भी शामिल हो गईं, जिससे हर कोई खुश हो गया।

प्रेरणा बने दीपेंद्र, गांव के युवाओं को दिखाई नई राह

दीपेंद्र की उपलब्धियां गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गईं। एक छोटे से गांव से निकलकर इमोरी यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर बनना युवाओं को बड़े सपने देखने का हौसला देता है। दीपेंद्र की सफलता की कहानी गांव के घर-घर में चर्चा का विषय बन गई है।

संस्कृतियों का अनोखा संगम

यह शादी केवल दीपेंद्र और जैना के जीवन का अहम हिस्सा नहीं थी, बल्कि यह भारतीय और अमेरिकी संस्कृतियों के बीच का मेल भी दर्शाती है। ग्रामीणों ने पहली बार किसी विदेशी मेहमान को अपनी परंपराओं में शामिल होते देखा और यह उनके लिए गर्व का क्षण बन गया। जैना ने भी यह साबित कर दिया कि सच्चे प्यार के लिए भाषा, धर्म और संस्कृति कोई बाधा नहीं होती।

प्यार ने मिटाई सरहदें

दीपेंद्र और जैना की यह शादी एक संदेश दे गई कि प्यार किसी भी सीमा में बंधा नहीं होता। दोनों ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार संस्कृतियों, देशों और भाषाओं की सरहदों को पार कर सकता है। बंबोरा गांव में हुई यह शादी आने वाले समय में कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
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