अलवर

अरावली की श्रृंखलाओं के बीच सिंघाड़े की खेती बढ़ा रही रोनक, राहगीर पानी फल का ले रहे आनंद

सिंघाड़े की खेती पानी भराव क्षेत्र में होती है। जिसके चलते इस फसल की मौसम आते ही बुवाई शुरू हो जाती है।

अलवरOct 24, 2024 / 07:17 pm

Ramkaran Katariya

पिनान.सिंघाड़े की खेती पानी भराव क्षेत्र में होती है। जिसके चलते इस फसल की मौसम आते ही बुवाई शुरू हो जाती है। हालांकि अच्छी बारिश के बाद तलाई, एनिकट, बांध आदि में पानी की आवक के बाद ही बुवाई संभव हो पाती है। इस बार पानी की अच्छी आवक के बाद सिंघाड़े की खेती से जुड़े किसान काफी मात्रा में पैदावार कर पा रहे हैं और खुश नजर आ रहे हैं।
वैसे तो पानी फल का उत्पादन राजस्थान में अधिक होता है। इन दिनों अलवर जिले में सिंघाड़े की बम्पर पैदावार के चलते इसकी मिठास लोगों को खूब भा रही है। गुणवत्ता और मिठास के कारण यहां के सिंघाड़े की मांग दूर-दूर तक बनी रहती है। माचाड़ी की सुरम्य वादियों के बीच बिराई माता के बांध में पानीफल (सिंघाड़े) की खेती करने वाले माचाड़ी निवासी बाबूलाल व फूलचंद कहार ने बताया कि इस खेती को करना जितना सरल है, उतना ही कठिन भी है।
एक बीघा में दस से बीस क्विंटल बीज (बेल) का रोपण किया जाता है। जिसकी लागत काफी आती हैं। साथ ही बांध क्षेत्र के खातेदारों को भी लगान चुकाना पड़ता है। कड़ी मेहनत के बाद सीजन में साठ से सत्तर हजार का इजाफा हो पाता है। गोपाल सिंह नरूका ने बताया कि जल भराव क्षेत्र में सिंघाड़े की पैदावारी प्राचीन कालीन बिराई माता के सौंदर्य को बिखेर रही है। अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बना बांध क्षेत्र के पौधों को पूर्व की मानसून जीवनदान दे गई। जिससे पर्वतमालाओं पर हरियाली आक्षादित है। इस फसल की खेती करने वालों को रोजगार का अवसर भी मिल पा रहा है।

Hindi News / Alwar / अरावली की श्रृंखलाओं के बीच सिंघाड़े की खेती बढ़ा रही रोनक, राहगीर पानी फल का ले रहे आनंद

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.