अलवर

दो चुनाव से कांग्रेस का कब्जा, क्या भाजपा तोड़ पाएगी हार का क्रम

प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर उप चुनाव का बिगुल बजने वाला है। संभवत: अक्टूबर में आचार-संहिता लग जाएगी और नवंबर में चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी है। अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव होगा।

अलवरSep 30, 2024 / 12:24 pm

Umesh Sharma

अलवर.
प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर उप चुनाव का बिगुल बजने वाला है। संभवत: अक्टूबर में आचार-संहिता लग जाएगी और नवंबर में चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी है। अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव होगा। जुबेर खान के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर पिछले 2 चुनाव से कांग्रेस का कब्जा है।
वर्ष 2013 में हुए चुनाव भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा ने यहां जीत दर्ज की थी और केंद्र व राज्य में भाजपा में सरकारी बनी। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां बसपा प्रत्याशी लक्ष्मण चौधरी के निधन के बाद यहां उप चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस की सफिया जुबेर ने जीत दर्ज की थी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जुबेर खान यहां से जीते थे। ऐसे में भाजपा की राह आसान नहीं की जा सकती है।

जुबेर के परिवार के सदस्य को मिलेगा टिकट

उप चुनाव में सहानुभूति हावी नजर आई है। कांग्रेस पार्टी जुबेर खान के परिवार के किसी सदस्य को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतरेगी। भाजपा भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी। यही वजह है कि पार्टी ने यहां टिकट चयन के लिए माथापच्ची शुरू कर दी है। स्थानीय स्तर के अलावा पार्टी प्रदेश स्तर पर भी पार्टी यहां सर्वे करवा रही है। ताकि उपयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारकर पार्टी को जीत दिलाई जा सके।
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भाजपा के टिकट चयन आसान नहीं

भाजपा के लिए इस सीट पर सबसे बड़ी टास्क टिकट चयन है। जय आहूजा और सुखवंत सिंह के अलावा अलवर शहर से दो बार विधायक रह चुके बनवारी लाल सिंघल भी यहां से दावा ठोक रहे हैं। सुखवंत 2023 के चुनाव में भाजपा से बागी होकर आजाद समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे। लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा में री-एंट्री की की थी। वहीं जय आहूजा भी क्षेत्र में सक्रियता के आधार पर खुद को मजबूत बता रहे हैं।

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