प्रदेश के मूल निवासी होंगे योजना में शामिल
योजना के अंतर्गत राजस्थान के मूल निवासी ही लाभ ले सकेंगे। साथ ही पीड़ित बच्चे का पिछले तीन साल से प्रदेश में निवासरत होना जरूरी है। इसके अलावा दुर्लभ बीमारी के संबंध में सक्षम चिकित्सा अधिकारी की ओर से प्रमाणन जरूरी है। इसके लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एस), जोधपुर और जेके लोन अस्पताल, जयपुर के सक्षम अधिकारियों को अधिकृत किया गया है। वहीं, योजना में बीमारी के इलाज के लिए दी जाने वाली सहायता राशि के साथ अन्य योजनाओं के तहत भी लाभ लिया जा सकेगा, लेकिन पीड़ित बच्चे के स्वस्थ होने अथवा उसकी मृत्यु होने पर सहायता राशि नहीं दी जाएगी योजना में 56 तरह की दुर्लभ बीमारियों को शामिल किया गया है। इस तरह की बीमारियां लाखों-करोड़ों लोगों में एक या दो लोगों में मिलती है। वहीं, योजना में लाभ लेने के लिए बीमारी के प्रमाणीकरण के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक का प्रमाण पत्र जरूरी है। विभाग की ओर से दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों का चिन्हिकरण कराया जा रहा है। यदि इस तरह का कोई मरीज मिलता है, तो उसे योजना में लाभान्वित कराया जाएगा। –डॉ. योगेन्द्र शर्मा, सीएमएचओ, अलवर।
योजना के तहत लाभ लेने के लिए बीमारी संबंधी जानकारी और आवश्यक दस्तावेज जनाधार पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। जिन्हें जांच के बाद संबंधित चिकित्सा संस्थान को भेजा जाएगा। इसके बाद पीड़ित बच्चों का चिकित्सा परीक्षण प्राधिकृत संस्थान में होगा, जिसके आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। साथ ही योजना का लाभ लेने के लिए पालनकर्ता और बच्चे के जीवित होने का वार्षिक सत्यापन भी जरूरी है।
जो ई-मित्र केंद्र या जिला कार्यालय के माध्यम से किया जा सकेगा। वहीं, सत्यापन नहीं होने पर अगले वर्ष का भुगतान रोक दिया जाएगा, जो सत्यापन के बाद एरियर सहित जारी किया जाएगा। आर्थिक सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से पालनकर्ता के बैंक खाते में जमा की जाएगी। भुगतान प्रक्रिया और अन्य सभी जानकारी एसएमएस के जरिए से आवेदनकर्ता को दी जाएगी।
योजना के तहत लाभ लेने के लिए बीमारी संबंधी जानकारी और आवश्यक दस्तावेज जनाधार पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। जिन्हें जांच के बाद संबंधित चिकित्सा संस्थान को भेजा जाएगा। इसके बाद पीड़ित बच्चों का चिकित्सा परीक्षण प्राधिकृत संस्थान में होगा, जिसके आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। साथ ही योजना का लाभ लेने के लिए पालनकर्ता और बच्चे के जीवित होने का वार्षिक सत्यापन भी जरूरी है।
जो ई-मित्र केंद्र या जिला कार्यालय के माध्यम से किया जा सकेगा। वहीं, सत्यापन नहीं होने पर अगले वर्ष का भुगतान रोक दिया जाएगा, जो सत्यापन के बाद एरियर सहित जारी किया जाएगा। आर्थिक सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से पालनकर्ता के बैंक खाते में जमा की जाएगी। भुगतान प्रक्रिया और अन्य सभी जानकारी एसएमएस के जरिए से आवेदनकर्ता को दी जाएगी।
56 दुर्लभ बीमारियां शामिल
राष्ट्रीय नीति में एड्रीनोल्यूकोडिस्ट्राफी, गंभीर संयुक्त प्रतिरक्षा कमी, क्रॉनिक ग्रेन्यूलोमेटस बीमारी, विस्कॉट- ऑल्ड्रच सिंड्रोम, एक्स लिंक्डएगामाग्लोबुलिनेमिया, ऑस्ट्रीयोपेट्रोसिस, फैनकोनी एनिमिया, टाइरोसीनिमिया, ग्लाइकोजन भंडारण विकार, मेपल सिरप यूरिन रोग, यूरिया चक्र विकार, आर्गेनिक एसिडेमियास, ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलिसिस्ट्िक किड़नी रोग, ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलिसिस्टिक किडनी रोग, लारोन सिंड्रोम, ग्लैंजमैन थ्रोबैसथेनिया रोग, जन्मजात हाइपर इंसुलिनेमिक हाइपोग्लाइसीमिया, पारिवारिकहोमोजाइगस हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया,मैनोसिडोसिस, एक्सवाई डिस्आर्डर सिंड्रोम, प्राथमिक हाइपर ऑक्साल्यूरिया, होमोसाइटीन्यूरा, ग्लूट्रेक एसीडीयूरिया, मिथाइमैलोनिक एसीडिमिया, प्रोपियोनिक एसीडेमिया, आइसोवलरिक एसिडेमिया, ल्यूसीन हाइपोग्लाइसीमिया, गैलेक्टोसेमिया, ग्लूकोज गैलेक्टोज अवशोषण विकार, सीवियर फूड प्रोटीन एलर्जी, ऑस्टियोजेनेसिस इपरफेक्टा, वृद्धि हारमोन की कमी, प्रेडर-विली सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, नूनन सिंड्रोम, सिस्टिक फाइब्रोसिस एवं माइटोकॉन्ड्रीयल विकार सहित 56 तरह की बीमारियां शामिल है।यह भी पढ़ें:
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