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टिप्पणी : अलवर से झोली भरकर वोट और उम्मीद, पढ़े अलवर जिले के चुनाव परिणाम का विश्लेषण

अलवर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी महंत बालक नाथ ने बड़ी जीत हासिल की है, अब उनके सामने कई चुनौतियां भी है।

अलवरMay 24, 2019 / 08:44 pm

Hiren Joshi

BJP Mahant Balak Nath Victory In Alwar And Next Challenges

टिप्पणी : अलवर से झोली भरकर वोट और उम्मीद, पढ़े अलवर जिले के चुनाव परिणाम का विश्लेषण

अलवर. अलवर की राजनीति को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। अब बीजेपी का कहना है कि मोदी है तो मुमकिन है। क्योंकि 2014 में जो सीट बीजेपी ने 2.83 लाख वोट से जीती थी उसे उपचुनाव में कांग्रेस ने 1.96 लाख वोट से छीन लिया। फिर हाल के विधानसभा चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। इस बीच इस बार टिकट वितरण से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक बीजेपी ने यहां की राजनीति की नब्ज को पकड़ लिया था। लोकसभा उपचुनाव में अपने हाथ से अलवर खिसकने के बाद बीजेपी ने यहां रेकॉर्ड बड़ी जीत दर्ज कर ली। महंत बालकनाथ योगी का यह पहला चुनाव था और पहली ही बार में उन्होंने परचम फहरा दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेता और जिले में कांग्रेस के सर्वेसर्वा जितेंद्र सिंह के रणनीतिकारों को शुरुआत में यह ख्याल ही नहीं होगा कि बाबा इतने भारी पड़ सकते हैं। तब कुुछ भाजपा नेताओं ने भी बाबा की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए थे। अलवर की जनता ने भाजपा को झोली भरकर वोट दिए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को 50 प्रतिशत वोट लेने को कहा था। अलवर में उन्हें जनता ने 60 प्रतिशत वोट दिए। भाजपा को तो दिए ही हैं बल्कि बालकनाथ में भी लोगों ने खूब विश्वास जताया है। राठ क्षेत्र में खासकर बहरोड़ और मुंडावर में मिली जबरदस्त बढ़त इसका संकेत है कि वहां बालकनाथ का या उनके मठ का विशेष प्रभाव है। पूरे जिले में राजगढ़ को छोडकऱ भाजपा ने हर क्षेत्र से बढ़त ली हैे।
जिले के एकमात्र मंत्री टीकाराम जूली के अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस की रणनीति कामयाब नहीं रही। जबकि राजगढ़ में बड़ी बढ़त की उम्मीद के बीच मामूली बढ़त मिली। बालकनाथ राजनीति में भले ही नए हैं लेकिन अलवर काफी पुराना है। बालकनाथ युवा हैं और उनके सामने राजनीति की लंबी पारी खेलने का पूरा अवसर है। बशर्ते वे इस जीत के साथ ही अब अपने कार्यों से जनता का दिल भी फिर से जीत लें। यहां भाजपा जनसंघ के जमाने से मजबूत है। बड़ी संख्या में समर्पित कार्यकर्ता हैं। संघ का भी यहां मजबूत जनाधार है जो चुनावों में भाजपा के लिए हर बार संजीवनी साबित होता है। यहां की जनता भी काफी सक्रिय है। ऐसे में इस जीत के साथ ही बालकनाथ को क्षेत्र की बिगड़ी दशा सुधारने के लिए भी जुटना होगा। कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। जिले में अपराध, बेरोजगारी, प्रदूषण, पेयजल संकट, अवैध खनन, मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं होना जैसी समस्याएं हैं। समस्याएं दूर हों या न हों लेकिन इसके लिए अगर प्रयास शुरू हो जाएं तो जनता का विश्वास बढ़ जाएगा। बस जनता को लगना चाहिए कि उनका सांसद उनके लिए तैयार है।
अलवर लोकसभा क्षेत्र के साथ ही जिले में कुल चार लोकसभा क्षेत्र हैं। सभी जगह भाजपा जीती है। बानूसर विधानसभा क्षेत्र जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में आता है। यहां भाजपा के केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस की कृष्ण पूनिया पर 52764 वोटों की बढ़त ली है। कठूमर विधानसभा क्षेत्र भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां भाजपा की रंजीता कोली ने कांग्रेस प्रत्याशी पर 39351 वोटों की बढ़त ली है। जबकि दौसा लोकसभा क्षेत्र में शामिल थानागाजी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की जसकौर मीणा ने कांग्रेस प्रत्याशी पर 11289 वोटों की बढ़त ली है। कांग्रेस के पास अब मंथन के लिए खूब समय है। कार्यकर्ताओं और नेताओं के पास अभी भी अवसर है। क्योंकि राज्य में उनकी सरकार है। अलवर के विकास के लिए उन्हें भी जुटना होगा और जनता का विश्वास फिर से जीतना होगा।

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