गूगल-पे, फोन-पे, पेटीएम और भीम यूपीआई आदि के फेक ऐप असली की तरह दिखते हैं। इन्हें छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और कम पढ़े-लिखे निन तबके के लोगों को धोखा देने के लिए बनाया गया है।शहर के अनेक व्यापारी अब तक इसके शिकार बन चुके है।
जिनकी शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ठग नकली यूपीआई एप से क्यूआर कोड स्कैन करते हैं। पेमेंट कर फर्जी स्क्रीन शॉट दिखाते हैं। इसमें फेक ऐप में पेमेंट के बाद साउंड नोटिफिकेशन भी आता है, इससे यह असली प्रतीत होता हैं। इससे छोटे व्यापारी ओर दुकानदार यह समझ बैठते हैं कि पेमेंट हो गया है। इस प्रकार से वे आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं।
जागरूकता से ही बचाव
एडवोकट देशराज खरेरा बताते है कि सरकार और भुगतान कंपनियां सुरक्षा मजबूत कर रही हैं। जागरूकता से ही धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।डिजिटल लेनदेन सुरक्षित बनाने के लिए हमें सावधानियां बरतनी होगी। साइबर अपराधी आमतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो डिजिटल भुगतान का कम अनुभव रखते है। फेक ऐप असली जैसे ही होते हैं। इनमें अंतर कर पाना बेहद मुश्किल होता है। क्यूआर कोड स्कैन करते ही पता चल जाता है। साइबर ठग इसका स्क्रीन शॉट लेकर भी भेज देते हैं। इससे से आपको लगेगा कि भुगतान हो गया, लेकिन यह सिर्फ स्क्रीन शॉट तक ही सीमित रहेगा। बैंक खाते में इसका पैसा नहीं जाएगा