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बाबा खेतानाथ : अहीरवाल क्षेत्र के महान संत जिन्होंने त्याग-तपस्या के साथ कुरितियों को किया दूर, राठ क्षेत्र का इनसे है नूर

Baba Khetanath : राठ और अहीरवाल क्षेत्र के जन-जन की आस्था के केन्द्र ( Baba Khetanah ) बाबा खेतानाथ ने समाजोत्थान में लगाया पूरा जीवन, शिक्षा के क्षेत्र में इनका अहम योगदान रहा।

अलवरNov 05, 2019 / 04:12 pm

Lubhavan

बाबा खेतानाथ : अहीरवाल क्षेत्र के महान संत जिन्होंने त्याग-तपस्या के साथ कुरितियों को किया दूर, राठ क्षेत्र का इनसे है नूर

बहरोड़. Baba Khetanath : अहीरवाल क्षेत्र में अनेक महान संत हुए हैं जिन्होंने समाज में ज्ञान, चरित्र और शिक्षा के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया है। ( Baba Khetanath ) बाबा गरीबनाथ, बाबा मोहनराम, स्वामी शरणानंद, बाबा जयराम नाथ, बाबा बस्तीनाथ, बाबा रामदेव जैसे अनेक संतों ने समाज को उचित दिशा प्रदान की है। इन संतों में एक महान संत बाबा खेतानाथ हुए हैं, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के उत्थान में लगा दिया। बाबा खेतानाथ का जन्म अहीरवाल क्षेत्र के सीहमा ग्राम, नारनौल जिला महेन्द्रगढ़ के यदुकुल में रामसिंह यादव एवं मीना देवी के घर कार्तिक सुदी अष्टमी (गोपा अष्टमी) विक्रमी संवत् 1973 सन् 1916 में हुआ।
सन् 1932 में वैराग्य भाव के चलते इन्होंने घर त्याग दिया। 1936 में बाबा मस्तनाथ आश्रम, अस्थल बोहर, रोहतक हरियाणा में संत जयलाल नाथ से दीक्षा लेकर संत पथ पर आगे बढ़े।
बाबा खेतानाथ ने आजीवन आध्यात्म और समाजोत्थान के कार्य किए। बाबा ने सामाजिक सुधार और जागरूकता का काम आजादी के आंदोलन से शुरू कर दिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के बाद पूरे देश में स्वतंत्रता प्राप्ति की ललक तेज हो गई थी। ऐसे में बाबा खेतानाथ भी आंदोलन से जुड़ गए और अहीरवाल क्षेत्र में सक्रिय रहे।
इसी दौरान कई बार नारनौल, नाभा, पटियाला, भटिंडा और फरीदकोट की जेलों में बंद रहे। आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को नारनौल चौक पर तिरंगा बाबा खेतानाथ ने ही फहराया था। आजादी के बाद भी आध्यात्मिक साधना और समाजोत्थान का काम अनवरत जारी रहा। हरियाणा और राजस्थान में विस्तृत अहीरवाल क्षेत्र महाराज की कर्मस्थली रहा।
बाबा खेतानाथ का शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान है। महाराज की प्रथम कर्मस्थली बीजवाड़ चौहान रहा, जहां 1956 में मिडिल स्कूल को उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत कराया और जन सहयोग से उसके भवन का निर्माण कराया। बाबा खेतानाथ ने अपने जीवन काल में अहीरवाल क्षेत्र में विद्यालय, कॉलेज, औषधालय, आश्रम, छात्रावास, प्याऊ, पोखर, मंदिर, कुएं और गोशालाओं का निर्माण कराया। इनमें विद्यालय सर्वाधिक हैं। इनके अतिरिक्त कितनी ही संस्थाओं के निर्माण में इनकी प्रेरणा, सलाह और योगदान रहा।
बुराइयों के उन्मूलन के लिए किया कार्य

बाबा खेतानाथ सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, मृत्युभोज, व्यसन आदि के उन्मूलन के लिए जीवन भर कार्य करते रहे। वे भांग, गांजा और धूम्रपान आदि व्यसनों को पसंद नहीं करते थे और न ही इनका सेवन करते थे। झाड़-फूंक, गंडा-डोरी जैसे अंधविश्वासों से कोसो दूर थे। बाबा की प्रेरणा से अहीरवाल क्षेत्र में अपने बड़े बुजुर्गों की याद में धर्मशालाओं और विद्यालयों में कमरे बनवाने का प्रचलन शुरू हुआ जो आज तक जारी है। बाबा के निर्माण कार्यों को देख कर उन्हें ‘अहीरवाल क्षेत्र का कुम्भा’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उनका अपना अलग स्थान है, वे हठयोग, सहजयोग, समत्वयोग व अन्य योगिक क्रियाएं करते थे। बाबा खेतानाथ भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की त्रिवेणी थे। अहीरवाल क्षेत्र की जनता की मांग पर बाबा ने राजनीतिक भूमिका भी अदा की। बाबा मुण्डावर पंचायत समिति, जिला-अलवर राजस्थान के प्रधान रहे। अंतिम दिनों में बाबा मस्तनाथ आश्रम, जोशीहोड़ा, नीमराणा, जिला-अलवर (राज.) में रहे और 28 दिसम्बर 1990 को ब्रह्मलीन हो गए।

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