– अष्टमी के दिन दूध, खीर और घी चढ़ाने आए ग्रामीण भक्त
अलवर. भतृर्हरि धाम में इन दिनों प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कोरोना के कारण बीते दो साल से यहां सावन मास में लोग नहीं आ पा रहे थे और मेला भी नहीं भरा था। शुक्रवार को सावन मास की अष्टमी को यहां समीपतर्वी गांवों से भक्त दूध, दही, देशी घी और मिष्ठान बनाकर आते रहे। यहां की धर्मशालाओं में भंडारे और सवामणी चल रही थी। यहां बहुत से चौपहिया वाहनों पर डीजे पर श्रद्धालु नाचते हुए चल रहे थे जो अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां प्रसाद चढ़ाने आए थे।
अलवर. भतृर्हरि धाम में इन दिनों प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कोरोना के कारण बीते दो साल से यहां सावन मास में लोग नहीं आ पा रहे थे और मेला भी नहीं भरा था। शुक्रवार को सावन मास की अष्टमी को यहां समीपतर्वी गांवों से भक्त दूध, दही, देशी घी और मिष्ठान बनाकर आते रहे। यहां की धर्मशालाओं में भंडारे और सवामणी चल रही थी। यहां बहुत से चौपहिया वाहनों पर डीजे पर श्रद्धालु नाचते हुए चल रहे थे जो अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां प्रसाद चढ़ाने आए थे।
दुकानें सजी, खूब बिक रहे मूसल
इन दिनों सावन मास में यहां प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके चलते यहां बहुत सी दुकानें सज गई हैं। यहां टैटू लगवाने वालों में उत्साह है और मूसल खूब बिक रहे हैं।
इन दिनों सावन मास में यहां प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके चलते यहां बहुत सी दुकानें सज गई हैं। यहां टैटू लगवाने वालों में उत्साह है और मूसल खूब बिक रहे हैं।
मेले की तैयारी, यहां दुकानदार खुश
अगले माह भरने वाले बाबा भतृर्हरि के मेले को लेकर व्यापारी उत्साहित हैं। यहां दुकान लगाने वालों का कहना है कि दो साल कोरोना के कारण यह धाम पूरी तरह प्रतिबंधित रहा। इस बार मेले में खूब भीड़ होने की संभावना है।
अगले माह भरने वाले बाबा भतृर्हरि के मेले को लेकर व्यापारी उत्साहित हैं। यहां दुकान लगाने वालों का कहना है कि दो साल कोरोना के कारण यह धाम पूरी तरह प्रतिबंधित रहा। इस बार मेले में खूब भीड़ होने की संभावना है।
सवाईमाधोपुर से कई दशकों से आ रहे
मेला स्थल पर पीपलदा सवाईमाधोपुर से आए कमलेश नाथ और मुकेश नाथ यहां बाबा भतृर्हरि के गीत सारंगी और ढोलक पर बजाते हैं तो यहां आने वाले लोग रुक जाते हैं और उनका भजन बिना सुने नहीं जाते हैं।
मेला स्थल पर पीपलदा सवाईमाधोपुर से आए कमलेश नाथ और मुकेश नाथ यहां बाबा भतृर्हरि के गीत सारंगी और ढोलक पर बजाते हैं तो यहां आने वाले लोग रुक जाते हैं और उनका भजन बिना सुने नहीं जाते हैं।
मेले को लेकर उत्साह यहां अगले माह भरने वाले मेले को लेकर पुजारी और दुकानदार उत्साहित हैं जिन्होंने अपनी बात इस प्रकार कहीं।
दो साल बाद भरेगा मेला इस बार मेला दो साल बाद भर रहा है जिससे हम बहुत उत्साहित हैं। यहां 100 से अधिक दुकानें हैं। इस बार मेले में काफी संख्या में भक्त भाग लेंगे।
-अजीत, दुकानदार।
दो साल बाद भरेगा मेला इस बार मेला दो साल बाद भर रहा है जिससे हम बहुत उत्साहित हैं। यहां 100 से अधिक दुकानें हैं। इस बार मेले में काफी संख्या में भक्त भाग लेंगे।
-अजीत, दुकानदार।
भक्तों में खुशी
दो साल बाद मेला भरने से भक्तों में खुशी है। इस बार सावन मास में भी काफी संख्या में भक्त आ रहे हैं। यहां अष्टमी के दिन लोग प्रसाद चढ़ाने आते हैं वैसे तो पूरे सावन में ही लोग आते रहते हैं।
दो साल बाद मेला भरने से भक्तों में खुशी है। इस बार सावन मास में भी काफी संख्या में भक्त आ रहे हैं। यहां अष्टमी के दिन लोग प्रसाद चढ़ाने आते हैं वैसे तो पूरे सावन में ही लोग आते रहते हैं।
– लीलू, पुजारी।
मेला अलवर की पहचान बाबा भतृर्हरि का मेला अलवर की पहचान है। इस मेले में नाचते गाते हुए लोग चलते हैं । लोग यहां आकर मन्नत मांगते है और पूरी होने पर खुशी मनाते हैं।
-पवन, पुजारी।
मेला अलवर की पहचान बाबा भतृर्हरि का मेला अलवर की पहचान है। इस मेले में नाचते गाते हुए लोग चलते हैं । लोग यहां आकर मन्नत मांगते है और पूरी होने पर खुशी मनाते हैं।
-पवन, पुजारी।