कलात्मकता का नमूना है सागर गौरतलब है कि यह जलाशय कलात्मकता का बेजोड नमूना है। वर्तमान में यह पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के संरक्षित स्मारकों में भी शामिल है। इसमें बहुत ही सुंदर तरीके से छतरियों को बनाया गया है। अलवर में आने वाले पर्यटक इसे देखे बिना नहीं जाते हैं। सागर की छतरियों का एक हिस्सा पानी में डूबा रहता है। सागर की आकर्षक सुंदरता के चलते अनेक बार यहां पर नाटक व फिल्मों की शूङ्क्षटग भी हो चुकी है।
वर्ष 2008 में हुआ था काम नगर परिषद की ओर से वर्ष 2008 में सागर की साफ- सफाई के बाद इसमें लाइटें लगाई गई थी। इसकी छतरियों पर रंग रोगन करवाया गया था। इसके कुछ समय बाद यहां पर चारों तरफ रेलिंग लगवाई गई थी। फव्वारों लगाए गए थे। यहां पर पर्यटकों का आकर्षण बढ़ाने के लिए नाव भी चलाई गई थी। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यहां के हालातों में कुछ सुधार नहीं हुआ।
विभागों से ली एनओसी साफ सफाई व देखेरख के लिए अशोक लीलैंड को गोद दिया गया है। इसमें अलग अलग विभागों से एनओसी ली गई है। इसके लिए सागर जलाशय को खाली करवाया जा रहा है, मछलियों के जीवन पर संकट न आए इसके लिए भी उन्हें विशेष निर्देश दिए गए हैं।सोहन सिंह नरूका, आयुक्त, नगर परिषद, अलवर।
पार्षद को जानकारी नहीं सागर जलाशय को खाली करने के बाद पार्षद को भी जानकारी दी जानी चाहिए थी, क्योंकि पार्षद को क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के बारे में पता होता है। लेकिन मुझे इसके बारे में नहीं बताया गया। सागर को इस समय खाली नहीं करना चाहिए। शहर में पानी की बहुत परेशानी है इसके बाद भी सागर के पानी को मशीनों से निकाला जा रहा है। यह पानी व्यर्थ जा रहा है। इसको हजूरी गेट के नाले में निकाला जा रहा है। जो कि गलत है। नारायण साईंवाल, स्थानीय पार्षद, अलवर।