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राजस्थान के निर्माण में अलवर की रही महत्वपूर्ण भूमिका

राजस्थान दिवस पर विशेषराजस्थान निर्माण का काम प्रारम्भ हुआ था अलवर से

अलवरMar 30, 2022 / 01:54 am

Pradeep

राजस्थान के निर्माण में अलवर की रही महत्वपूर्ण भूमिका

अलवर. राजस्थान के निर्माण में अलवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तब अलवर राज्य के राजा तेजङ्क्षसह थे और नीमराणा चीफ विप के राजा राजेंद्र ङ्क्षसह थे। नीमराणा के रेवन्यु रिकार्ड में 1959 में 22 गांव थे। मई 1948 को चीफ शिप ऑफ नीमराणा राजा रहे राजेंद्रङ्क्षसह ने मत्स्य राज्य में एक सप्ताह बाद विलय किया। शाहजहांपुर , बाव डी, चौबारा, संसदी, फौलादपुर, गांव गुडगांव जिला पंजाब से अलवर जिले में शामिल किए गए। अलवर महाराजा को पेंशन सालाना 5 लाख 20 हजार रुपए एवं नीमराणा राजा को 15 हजार रुपए प्रतिवर्ष नियत किए गए।
आज की कोटकासिम तहसील के 52 गांव नवाब नारनौल एवं रेवाडी के राव तुलाराम की प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन हारने पर सन 1857 में अग्रंजों का साथ देने के कारण जयपुर के राजा सवाई राजा जयङ्क्षसह को ब्रिटिश सरकार की ओर से 11 नवंबर 1857 को इनाम में दिए गए। कोटकासिम तहसील के 68 स्कवायर माइल का एरिया जनसंख्या 18103 थी। 1945 में जयपुर विधान परिषद के मनोनीत एमएलसी व 1946 में चुने हुए विधायक हेमकरण यादव रहे। जयपुर राज्य से स्थानांतरित होकर 1949 में अलवर जिले कोटकासिम में शामिल किया गया। इस प्रकार अलवर जिला बना।

सरदार बल्लभ भाई पटेल का योगदान
इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि 25 फरवरी 1948 को सरदार बल्लभ् भाई पटेल अलवर आए और राजर्षि कॉलेज ग्राउंड में उन्होंने भाषण दिया। सरदार पटैल के भाषण के बाद कुछ अलवर के बडे राजपूत सरदार उनसे मिलने नई दिल्ली गए। भेंट से पहले इनकी तलाशी ली गई कि सश्स्त्र साजिश तो नहीं है।9 मार्च 1948 को भरतपुर का शासक केंद्र ने अपने हाथ में ले लिया ङ्क्षकतु भरतपुर महाराजा को भरतपुर रहने की आज्ञा दे दी गई। इधर , रि यासती विभाग देशभर की रियासतों का एकीकरण की योजना को ध्यान में रखते हुए राजस्थान की रियासतों की समस्या को हल करने में लगा रहा। इसी दिशा में तत्कालीन महाराजा धौलपुर ने कदम उठाया और धौलपुर को विलय करने की स्वीकृति दे दी, साथ ही करौली भी भारत संघ में आ गया और 10 मार्च 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर करोली का संयुक्त राज्य मत्स्य संघ के नाम से घोषित हो गया। मत्स्य संघ का उदघाटन करने के लिए सरदार पटेल को आना था ङ्क्षकतु अस्वस्थता के चलते गाडगिल को भरतपुर जाकर 17 मार्च को उदघाटन करना पडा।

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