इस बार अलवर जिले में 27 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बुवाई हुई है और प्याज की गुणवत्ता भी बेहतर है। एक नवंबर से जिले के मंडियों में प्याज की आवक शुरू हो जाएगी। यह आवक नवंबर और दिसंबर दो माह तक रहेगी।
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कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अलवर जिले में प्याज किसानों के घरों तक सुख और समृद्धि लेकर आएगा। प्याज के भाव इस बार कम नहीं रहेंगे जिससे किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार उठेगा। जिले में प्याज की उत्पादकता 16 टन प्रति हैक्टेयर मानी जाती है। इस साल अलवर में 3 लाख 55 हजार टन प्याज उत्पादन की संभावना है।
इस साल अधिक बोई प्याज
उद्यानिकी विभाग के कृषि अधिकारी शीश मोहम्मद का कहना है कि वर्ष 2019 में प्याज के भाव अधिक रहने से किसान अब प्याज की फसल को फायदे का सौदा समझने लगे हैं। दो साल पहले थोक में प्याज के भाव 105 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। इसके चलते प्याज की बुवाई अधिक हुई है। कुछ हैक्टेयर में बरसात के कारण फसल खराब भी हो गई थी, लेकिन इसका प्रतिशत अधिक नहीं है।
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2019 में अफगान से आया था प्याज
साल 2019 को भारत में प्याज के भाव 100 रुपए किलो से अधिक हो गए थे।
यहां इतनी पैदावार
पूरे देश में प्याज का उत्पादन औसतन 2.3 करोड़ टन प्रति वर्ष है। देश में सबसे अधिक प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र में 36 प्रतिशत होता है। अन्य प्रमुख प्याज उत्पादन राज्यों में मध्यप्रदेश में 16 प्रतिशत, कर्नाटक में 13 प्रतिशत, बिहार में 6 प्रतिशत और राजस्थान में 5 प्रतिशत प्याज का उत्पादन होता है। राजस्थान में अलवर प्रमुख प्याज उत्पादक जिलों में शामिल है।
प्याज का उत्पादन
देश में उत्पादन – औसतन 2.3 करोड़ मीट्रिक टन
अलवर में प्याज का रकबा 2020 में – 18500 हैक्टेयर
रकबा 2021 में – 26 हजार हैक्टेयर
रकबा 2022 में – 27 हजार हैक्टेयर
प्याज की उत्पादकता – 16 टन प्रति हैक्टेयर
अलवर में प्याज उत्पादन की संभावना – 3 लाख 55 हजार टन