एक साथ प्याज की बुवाई करने के कारण गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष मजदूरों की मजदूरी भी 50 से 100 महंगी होने के कारण प्रति श्रमिक 400 रुपए देने पड़ रहे है। गत वर्ष के मुकाबले प्याज का कण भी 500 रुपए प्रति क्विंटल महंगा मिल रहा है। लाल प्याज की बुवाई के लिए कई किसानों ने खेतों को पहले से ही तैयार कर रखा था, जिसमें कीटनाशक दवा, डीएपी, जिप्सम, पोटाश, मैग्नीशियम की बिजाई की हुई थी।
इन गांवों में बिजाई शुरू दो दिन से मालाखेड़ा उपखंड के आसपास के गांव पृथ्वीपुरा, बालेटा, इम्तीपुरा, हरिपुरा, करेड़ा, बीजवाड़, परसा का बास, सिया का बास, सारंगपुरा, बलदेवपुरा, मानपुरा, निर्भयपुरा, चांद पहाड़ी, जोहरा का बड़, पुनखर, कल्याणपुरा, जाटोली, मोहम्मतपुर, सोहनपुर सहित कई अन्य गांवों में लाल प्याज के कण की बिजाई शुरू की गई है।
कीटनाशक दवा का छिड़काव कर भूमि को सुधारा गया क्षेत्र के किसान राजेंद्र कुमार, इंद्रमल मीणा, रविंद्र सिंह, मंगतू रैबारी, जगदीश मीणा, हजारी मीणा, रतिराम बैरवा, समसू खान, इलियास खान, जितेंद्र यादव, रतीराम गुर्जर, हरिराम गुर्जर, जयकिशन गुर्जर, पेमाराम सैनी, पूरणमल, राजेश गुर्जर आदि ने बताया कि इस बार इंद्रदेव मेहरबान रहे। जिससे खेतों में नमी और सरसाई बनी हुई है। बुवाई से पहले ही जुताई वह कीटनाशक दवा का छिड़काव कर भूमि को सुधारा गया था। अब लाल सोने की बिजाई की जा रही है। यह किसानों की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।
एक बीघा पर आ रहा 27000 के करीब खर्चा किसानों के अनुसार इस बार प्याज की फसल की बुवाई में एक बीघा पर 27000 रुपए के करीब खर्चा आ रहा है। गत वर्ष भी लाल प्याज के दाम अच्छे मिले थे। जहां 2 वर्ष से हो रहे घाटे की कुछ पूर्ति हुई थी। खेती मानसून का जुआ होती है, फिर भी बारिश के अनुसार आशा की जाती है कि इस बार भी प्याज का उत्पादन अच्छा होगा और फसल का भाव मुनासिब मिलता है तो पुराना कर्ज चुकाया जा सकेगा।