संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं के इतिहास इत्यादि की सूचना देने का इंतजाम नहीं किए जाने से पर्यटक उसके बारे में यह तक नहीं जान पाते कि वह वस्तु कितनी प्राचीन है, कहां से लाई गई है। संग्रहालय में एक म्यान में दो तलवार किस खंड में है, इसकी सूचना तक प्रदर्शित नहीं है। पर्यटक उसे ढूंढते ही रह जाते हैं। वैसे यहां सैकडों तलवारें है, लेकिन दो तलवार धारण करने वाली म्यान दुर्लभ है फिर भी पर्यटक उसे देख नहीं पाते।
संग्रहालय में गाइड का अभाव है। जिससे पर्यटक दुर्लभ वस्तुओं को निहार कर ही वापस लौट जाते हैं। खासकर बच्चे व महिलाएं यहां रखी पुरा महत्व की वस्तुओं की जानकारी नहीं मिलने से मायूस हो जाती हैं। अलवर राज्य के अंतिम शासक तेजसिंह के शासनकाल में नवंबर 1940 में अलवर संग्रहालय की स्थापना की गई थी। संग्रहालय सिटी पैलेस की पांचवी मंजिल पर है। संग्रहालय में 18वीं व 19वीं सदी के हस्तलिखित ग्रंथ, लघु चित्र, अस्त्र, शस्त्र, राजसी शस्त्र, लाख से बना सामान, बीकानेर की मिटटी से बना सामान, हाथी दांत से निर्मित वस्तुएं, वाद्ययंत्र आदि को चार कक्षों में प्रदर्शित किया गया है। यहां 10वीं और 12वीं शताब्दी पाषण प्रतिमाएं भी हैं।
अलवर संग्रहालय में पिछले साल ही काम करवाया गया है। प्रदर्शित वस्तुओं में से कुछ पर सूचनाएं लिखना बाकी है। जल्द ही सूचनाएं लिखवा दी जाएंगी।
प्रतिभा यादव, संग्रहालयाध्यक्ष
प्रतिभा यादव, संग्रहालयाध्यक्ष