( baba balaknath in alwar ) सांसद महंत बालकनाथ ने पत्रिका कार्यालय में बातचीत के दौरान पहली बार संसद में प्रवेश के अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे पहली बार संसद गए तो सीकर सांसद सुमेधानंद के निकट की सीट पर बैठे। हालांकि उस सीट पर बैठने के लिए वहां पूर्व में बैठे एक सांसद को दूसरी सीट पर भेजना पड़ा। मेरे पहुंचने से पहले उस सीट पर बैठे सांसद ने एक बार वहां से उठने से मना कर दिया, लेकिन बाद में उनसे अनुरोध पर वहां बैठ सका। इस समूचे घटनाक्रम के दौरान उन्हें यह पता नहीं था कि उनके गुरु चांदनाथ को यही सीट आवंटित थी।
सांसद बालकनाथ ने बताया कि दोपहर बाद जब वे करीब साढ़े तीन बजे पुन: संसद में पहुंचे तो गंगानगर के सांसद निहालचंद आदि ने बताया कि जिस सीट पर बैठे थे, इसी सीट पर गुरु चांदनाथ भी बैठते थे।
हेलीेकाप्टर से आने का निर्णय वहां के लोगों का लाडपुर में पिछले दिनों एक धार्मिक आयोजन में हेलीकॉप्टर से आने को लेकर सांसद महंत बालकनाथ ने कहा कि वहां हेलीकॉप्टर से आने का फैसला मेरा नहीं था। मेरा कार्यक्रम तो शनिवार शाम को अलवर आने और अगले दिन सुबह लाडपुरा पहुंचने का था। लेकिन हेलीकॉप्टर से कार्यक्रम में पहुंचने का निर्णय आयोजक व वहां के लोगों का था। हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी उन्होंने ही की। यह वहां के लोगों का स्वागत भाव है, पहले भी वे रथ व अन्य तरीकों से उन्हें बुला चुके हैं।
सैनिक स्कूल के लिए रक्षा मंत्री से की थी बात जिले में स्वीकृत सैनिक स्कूल को लेकर सांसद बालकनाथ ने कहा कि इस मांग को लेकर पूर्व में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की थी, उन्होंने इस बारे में पत्र लिखने को कहा था, लेकिन पत्र भेजने से पहले ही अलवर में सैनिक स्कूल की घोषणा हो गई। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल ही नहीं अभी और भी बहुत से विषयों पर कार्य करना है। अलवर में मेडिकल कॉलेज भवन को लेकर उन्होंने कहा कि इस बारे में भी बात चल रही है। सवाल यह नहीं कि किस के शासन में यह भवन बना, मुद्दा यह है कि भवन बनाने में देश के लोगों का पैसा लगा और यह व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। अलवर को एनसीआर के विकास के लाभ दिलाने के भी प्रयास किए जाएंगे। सांसद ने केन्द्रीय बजट को अंत्योदय आधारित बजट बताया, जिसमें गरीब, किसान व हर वर्ग का ध्यान रखा गया है।