अलवर जिला भीषण गर्मी के लिए चर्चित रहा है। यहां अप्रेल व मई में पारा 45 डिग्री के पास पहुंच जाता है। साथ ही लू का दौर भी शुरू हो जाता है, लेकिन इस साल हालात अन्य सालों की तुलना में बिल्कुल उलट है। इस साल अप्रेल व मई माह में सावन जैसी बारिश हो रही है। इससे गर्मी व लू का असर नहीं के बराबर रह गया है। बारिश के चलते घरों में एसी, कूलर व पंखों का उपभोग काफी कम हो गया है। वहीं कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए चलने वाली मोटर भी लगभग बंद हैं। इससे अलवर जिले में प्रतिदिन बिजली लोड में 200 से 250 मेगावाट की कमी आई है।
ठंडे मौसम से यह आया बदलाव जिले में इन दिनों मौसम में ठंडक बनी हुई है। गत वर्ष इस दौरान जिले में भीषण गर्मी व लू का दौर जारी था। पिछले साल की तुलना में इस साल इन दिनों बिजली का उपभोग भी कम हुआ है। बिजली विशेषज्ञों के अनुसार इन दिनों जिले में हर दिन विद्युत लोड 1000 से 1200 मेगावाट के बीच रहता है। इन दिनों मौसम ठंडा होने से इसमें प्रतिदिन 200 से 250 मेगावाट के उपभोग की कमी आई है।
ऐसे बच रही 30 लाख रुपए की बिजली एक मेगावाट में 20 हजार यूनिट होती हैं, 24 घंटे के बिजली उपभोग के हिसाब से हर दिन 4 लाख 80 हजार यूनिट की बचत हो रही है। सामान्य: बिजली निगम को एक यूनिट बिजली 6 रुपए में पड़ती है। इस लिहाज से मौसम बदलने से हर दिन उपभोक्ताओं का करीब 30 लाख रुपए की बिजली का खर्च बच रहा है। वहीं बिजली निगम को महंगी बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ रही।
तापमान में कमी से बिजली लोड घटा जिले में बारिश के चलते तापमान में गिरावट आई है। इस कारण बिजली की मांग भी 20 प्रतिशत कम हुई है। जेएल मीणा अधीक्षण अभियंता, बिजली निगम अलवर