अलवर

दूरी के खेल में रवन्ने का घालमेल, जांच भी हो रही फेल

अवैध खनन एवं खनन सामग्री के अवैध परिवहन पर रोक के लिए सरकार ने खूब नियम बनाए, लेकिन अवैध कारोबारियों के आगे खनन विभाग के नियम भी बेअसर साबित हो रहे हैं। माफिया ने मिलीभगत कर अवैध खनन के अलावा वैध लीज पर भी खनन सामग्री का अवैध तरीके से परिवहन कर मोटी रकम कमाने का तरीका ढूंढ निकाला है।

अलवरOct 11, 2022 / 12:33 am

Prem Pathak

दूरी के खेल में रवन्ने का घालमेल, जांच भी हो रही फेल

अलवर. अवैध खनन एवं खनन सामग्री के अवैध परिवहन पर रोक के लिए सरकार ने खूब नियम बनाए, लेकिन अवैध कारोबारियों के आगे खनन विभाग के नियम भी बेअसर साबित हो रहे हैं। माफिया ने मिलीभगत कर अवैध खनन के अलावा वैध लीज पर भी खनन सामग्री का अवैध तरीके से परिवहन कर मोटी रकम कमाने का तरीका ढूंढ निकाला है।खान विभाग की ओर से खनन सामग्री परिवहन के लिए नियम बनाए गए हैं। खनन सामग्री परिवहन करने वाहन देरी से वे- ब्रिज पर पहुंचते हैं और गंतव्य स्थान की दूरी भी ज्यादा बताई जाती है। इससे विभाग को रॉयल्टी के नुकसान की आशंका रहती है। इस करण निदेशालय खान एवं भू विज्ञान विभाग की ओर से ई- रवन्ना, टीपी प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम में रवन्ना व टीपी कन्फर्म तथा एक्सपायर होने के अधिकतम समय का प्रावधान किया गया है।
दूरी के आधार पर रवन्ना की मियाद

दस किलोमीटर तक रवन्ना, टीपी कन्फर्म करने की अधिकतम सीमा दो घंटे और रवन्ना एक्सपायर होने की मियाद दो घंटे तय की गई है। इसी प्रकार 11 से 25 किमी के लिए रवन्ना कंफर्म करने का समय दो घंटे व रवन्ना की मियाद दो घंटे तय की गई है। वहीं 26 से 600 किलोमीटर तक रवन्ना व टीपी कंफर्म करने का समय तीन घंटे व रवन्ना एक्सपायर होने की मियाद तीन से तीस घंटे तय की गई है।
अब यह हो रहा रवन्नों में मिलीभगत का खेल

रवन्नों में अब विभागीय मिलीभगत कर खनन लीज से सामग्री पहुंचाने वाले स्थल की दूरी को बढ़वाने का खेल चल निकला है। यह दूरी बढ़ने से लीज धारक या सामग्री परिवहन करने वालों का लाभ यह होता है कि वह एक ही रवन्ने से दिन में तीन- चार बार खनन सामग्री का परिवहन कर लेता है। जांच करने पर वह एक ही रवन्ने को तीन- चार दिखाकर बच निकलता है। इसका मोटा नुकसान खनन विभाग को राॅयल्टी का उठाना पड़ रहा है। एक रवन्ने पर लीज धारक एक बार ही रॉयल्टी चुकाता है, जबकि उसी रवन्ने से तीन- चार बार सामग्री का परिवहन कर लेता है, जिसकी रॉयल्टी भी नहीं चुकाता। इतना ही नहीं तुलाई भी आधी खनन सामग्री की कराता है। कांटे पर वाहन को आधा ही चढ़ाता है, जिससे सामग्री का वजन कम बैठता है और रॉयल्टी भी कम लगती है।
ऐसे होता है मिलीभगत का खेल

टहला क्षेत्र के गोवर्धनपुरा से अलवर के एमआइए की दूरी करीब 60 किमी है, जबकि लीज धारक ने विभागीय मिलीभगत से गंतव्य स्थल की दूरी 201 किलोमीटर दिखवा दी। इसका लाभ यह हुआ कि उसे खनन सामग्री परिवहन के लिए नियमानुसार 11 घंटे का समय मिला। जबकि गोवर्धनपुरा से एमआइए पहुंचने में मुश्किल से दो से तीन घंटे का समय लगता है। लेकिन विभाग की ओर से 11 घंटे का समय मिलने के कारण लीज धारक उसी रवन्ने से दिन में तीन से चार बार खनन सामग्री का परिवहन कर लेता है।
ई रवन्ना के लिए दूरी व मियाद की जांच कराएंगे

ई- रवन्ना कंफर्म होने एवं इसकी एक्सपायर होने की समय सीमा की जांच कराई जाएगी। यदि किसी ई रवन्ने में आदेशों का उल्लंघन मिला तो उस लीज धारक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजेन्द्र चौधरी

खनि अभियंता, अलवर

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