प्रदेश में कांग्रेस खेमा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुलह कराने का दावा करने के बाद आगामी विधानसभा चुनाव को धार देने में लगा है। यही वजह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बयान युवा-बुजुर्ग के बीच तालमेल बिठाने को लेकर बयान देने लगे हैं। एक दिन पहले जब प्रभारी रंधावा ने उम्रदराज नेताओं को पदों की चिंता छोड़, माइल स्टोन बनने की सलाह दी तो प्रदेश में बुजुर्ग नेताओं को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।
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विधायक-पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद आ सकते दायरे में रंधावा के उम्रदराज नेताओं के माइल स्टोन बनने की सीख के बाद अलवर जिले के कांग्रेसियों में भी जिले के बुजुर्ग नेताओं को लेकर बहस छिड़ी है। इसमें अलवर जिले के 70 साल पार के नेताओं में विधायक जौहरीलाल मीणा, दीपचंद खैरिया, बाबूलाल बैरवा, पूर्व मंत्री दुर्रुमियां और पूर्व सांसद डॉ. करणसिंह यादव सहित अन्य कुछ नेताओं के नाम चल रहे हैं।
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विधायक-पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद आ सकते दायरे में रंधावा के उम्रदराज नेताओं के माइल स्टोन बनने की सीख के बाद अलवर जिले के कांग्रेसियों में भी जिले के बुजुर्ग नेताओं को लेकर बहस छिड़ी है। इसमें अलवर जिले के 70 साल पार के नेताओं में विधायक जौहरीलाल मीणा, दीपचंद खैरिया, बाबूलाल बैरवा, पूर्व मंत्री दुर्रुमियां और पूर्व सांसद डॉ. करणसिंह यादव सहित अन्य कुछ नेताओं के नाम चल रहे हैं।
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टिकट वितरण में धरे रह जाते हैं नियम-कायदे
हर बार चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में युवा-बुजुर्ग के बीच तालमेल बिठाने को लेकर तरह-तरह के बयान दिए जाते हैं। लेकिन इन बयानों पर टिकट वितरण के दौरान कम ही पालना होती है। गत विधानसभा चुनाव में भी बुजुर्ग नेताओं को टिकट से दूर रखने और लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने के लिए कहा गया, लेकिन टिकट वितरण में सभी नियमों पर धूल चढ़ गई।
हर बार चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में युवा-बुजुर्ग के बीच तालमेल बिठाने को लेकर तरह-तरह के बयान दिए जाते हैं। लेकिन इन बयानों पर टिकट वितरण के दौरान कम ही पालना होती है। गत विधानसभा चुनाव में भी बुजुर्ग नेताओं को टिकट से दूर रखने और लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने के लिए कहा गया, लेकिन टिकट वितरण में सभी नियमों पर धूल चढ़ गई।
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