पांच साल से अधिक समय तो डीएमआईसी के लिए जमीन अवाप्त किए हो गए। अभी तक एक भी किसान को अवाप्ति का पैसा नहीं मिला है। जबकि ये दोनों बड़े प्रोजेक्ट हैं, जो जिले के विकास को नई ऊंचाइयों पर लेकर जा सकते हैं लेकिन इन्हें धरातल पर लाने के जितने भी दावे किए गए, उसका दस प्रतिशत भी सरकार के स्तर पर प्रयास होते तो अब तक पूरी तस्वीर सामने आ जाती। एयरपोर्ट के लिए चिह्नित 14 गांवों की जानकारी एयरपोर्ट ऑथीरिटी ऑफ इण्डिया अधिकृत रूप से जारी करेगा।
अभी पर्यावरण मंजूरी भी नहीं अभी एयरपोर्ट में शामिल क्षेत्र की पर्यावरण मंजूरी भी नहीं हो सकी है। केवल डीपीआर बनाए जाने की बात दोहराई जा रही है। वैस असल में एयरपोर्ट की हकीकत डीएमआईसी के अधिकारियों से भी दूर है।
डीपीआर का राज नहीं खुल रहा एयरपोर्ट बनाने को लेकर एयरपोर्ट ऑथीरिटी ऑफ इण्डिया ने सर्वे किया है। डीएमआईसी के जरिए 14 गांवों का रिकॉर्ड मांगा है। उसके आधार पर डीपीआर बनाने का कार्य चल रहा है। करीब सवा साल से डीपीआर बनाने की बात कही जा रही है। जिसके राज का ऑथीरिटी के अधिकारियों के अलावा किसी को मालूम नहीं है। हालांकि डीएमआईसी के अधिकारियों का कहना है कि एयरपोर्ट बनेगा जरूर चाहे विलम्ब हो जाए। उनके अनुसार दो माह में डीपीआर तैयार हो सकेगी। इसके बाद केन्द्र व राज्य सरकार के बीच एमओयू होगा। फिर किसानों को जमीन के बदले किए जाने वाले मुआवजे पर निर्णय होगा।