एम्स व पीपीपी मॉडल की अधिक संभावना
इएसआइसी मेडिकल कॉलेज भवन में एम्स या फिर पीपीपी मॉडल आधारित मेडिकल कॉलेज संचालित किए जाने की अधिक संभावनाएं हो गई हैं। पिछले माह भवन का निरीक्षण करने आई तीन सदस्यों की टीम के प्रमुख डॉ. केशव ने बताया कि भवन पूरी तरह से एम्स जैसा बना हुआ है। टीम अपनी रिपोर्ट आगामी सप्ताह में सुपुर्द कर देगी। जिसके आधार पर स्टैण्डिंग कमेटी में विस्तार से चर्चा होगी। फिर आखिर में ईएसआईसी को तय करना है कि किस आधार पर मेडिकल कॉलेज को शुरू किया जाना बेहतर होगा।
इएसआइसी मेडिकल कॉलेज भवन में एम्स या फिर पीपीपी मॉडल आधारित मेडिकल कॉलेज संचालित किए जाने की अधिक संभावनाएं हो गई हैं। पिछले माह भवन का निरीक्षण करने आई तीन सदस्यों की टीम के प्रमुख डॉ. केशव ने बताया कि भवन पूरी तरह से एम्स जैसा बना हुआ है। टीम अपनी रिपोर्ट आगामी सप्ताह में सुपुर्द कर देगी। जिसके आधार पर स्टैण्डिंग कमेटी में विस्तार से चर्चा होगी। फिर आखिर में ईएसआईसी को तय करना है कि किस आधार पर मेडिकल कॉलेज को शुरू किया जाना बेहतर होगा।
850 करोड़ के भवन में केवल मशीनें लगाना शेष
रिपोर्ट सौंपने से पहले कमेटी के सदस्यों ने बताया कि इएसआइसी के जरिए अलवर में बनाया गया भवन बहुत अच्छी गुणवत्ता का लगता है। मेडिकल कॉलेज की जरूरत के अनुसार बना है। इस 850 करोड़ रुपए की लागत से बने भवन में मशीनें लाना शेष रहा है। एेसा भी नहीं है कि मेडिकल कॉलेज औद्योगिक क्षेत्र में है तो उससे कोई दिक्कत रहेगी। मेडिकल कॉलेज का संचालन शुरू होने के बाद आसपास में जरूरत के अनुसार सुविधाएं भी खड़ी होती रहेंगी।
रिपोर्ट सौंपने से पहले कमेटी के सदस्यों ने बताया कि इएसआइसी के जरिए अलवर में बनाया गया भवन बहुत अच्छी गुणवत्ता का लगता है। मेडिकल कॉलेज की जरूरत के अनुसार बना है। इस 850 करोड़ रुपए की लागत से बने भवन में मशीनें लाना शेष रहा है। एेसा भी नहीं है कि मेडिकल कॉलेज औद्योगिक क्षेत्र में है तो उससे कोई दिक्कत रहेगी। मेडिकल कॉलेज का संचालन शुरू होने के बाद आसपास में जरूरत के अनुसार सुविधाएं भी खड़ी होती रहेंगी।
आइसोलेशन वार्ड बनने के बाद आया ध्यान
करीब छह साल के बाद अलवर के मेडिकल कॉलेज भवन पर केन्द्र सरकार का ध्यान गया है। अब लगता है कि सरकार इसे शुरू करने का जल्दी कोई निर्णय ले सकेगी। वैसे भी जांच कमेटी के सदस्यों ने माना है कि इतने अच्छे भवन को काम में नहीं ले
करीब छह साल के बाद अलवर के मेडिकल कॉलेज भवन पर केन्द्र सरकार का ध्यान गया है। अब लगता है कि सरकार इसे शुरू करने का जल्दी कोई निर्णय ले सकेगी। वैसे भी जांच कमेटी के सदस्यों ने माना है कि इतने अच्छे भवन को काम में नहीं ले