14,246 राशनकार्ड निष्क्रिय
तीनों जिलों में राशनकार्ड धारकों की संख्या 5.75 लाख है। यह परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से जुड़े हैं। इन्हें मुफ्त गेहूं मिलता है। इन्हीं में से 14,246 राशनकार्ड धारक परिवार ऐसे हैं जो निष्क्रिय हैं। ये कार्ड धारक गेहूं या अन्य अनाज का लाभ नहीं उठा रहे। अपनी उपस्थिति राशन डीलर के पास दर्ज नहीं कराई।सॉफ्टवेयर के जरिए यह पकड़ में आए हैं। इसे देखते हुए अलवर रसद कार्यालय ने इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी। सरकार ने भी अपने स्तर से इनकी जांच की और योजना से बाहर कर दिया। अब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का पोर्टल जब भी खुलेगा, तो इन कार्ड की जगह दूसरे परिवारों को लाभ मिल जाएगा। यानी उनका नाम योजना में जुड़ जाएगा।
सौ से ज्यादा लोगों ने हटवाए राशन कार्ड से नाम : सरकार ने हाल ही में गिवअप योजना शुरू करवाई है। सरकार ने कहा है कि जो भी लोग अब अनाज खरीदने में सक्षम हो गए हैं, वह अपने नाम योजना से हटवा लें। अब तक सौ से ज्यादा लोगों ने विभाग आकर आवेदन किए हैं। 31 जनवरी तक लोग स्वयं नाम हटवा सकते हैं। उसके बाद विभाग कार्रवाई के लिए अभियान चलाएगा।
राशनकार्ड बनवाने के बाद यह परिवार रोजगार की तलाश में प्रदेश के दूसरे जिलों या राज्यों में चले गए। यह विभाग अनुमान लगा रहा है। कुछ परिवारों में एक या दो लोग थे, उनमें एक की मौत होने के बाद दूसरे ने अनाज नहीं लिया या वह भी दूसरी जगह चला गया।
राशनकार्ड बनवाने के बाद यह परिवार रोजगार की तलाश में प्रदेश के दूसरे जिलों या राज्यों में चले गए। यह विभाग अनुमान लगा रहा है। कुछ परिवारों में एक या दो लोग थे, उनमें एक की मौत होने के बाद दूसरे ने अनाज नहीं लिया या वह भी दूसरी जगह चला गया।
कुछ सक्षम परिवार भी होते हैं
यह भी बताया जा रहा है कि किसी दूसरे उद्देश्य से भी राशनकार्ड कुछ लोग बनवाते हैं, उस उद्देश्य की पूर्ति होने के बाद उसका प्रयोग नहीं करते हैं। कुछ सक्षम परिवार भी होते हैं, जो राशन कार्ड बनवा लेते हैं और उसका उपयोग कभी नहीं करते हैं। वह केवल एक डॉक्यूमेंट के रूप में प्रयोग ले रहे हैं। इसी के चलते यह निष्क्रिय होते गए। तीनों जिलों के निष्क्रिय राशन कार्डों का डेटा सरकार को भेजा गया था। अब सरकार ने इन्हें निष्क्रिय मानते हुए योजना से नाम हटा दिए हैं। इनकी जगह दूसरे लोगों को अब लाभ मिल जाएगा। – रणधीर सिंह, डीएसओ अलवर