उमेश पाल के मर्डर के लिए उनकी पत्नी ने अतीक और उसके परिवार के लोगों को नामजद किया है लेकिन सपा एक सुर में नंदी को मास्टर माइंड कह रही है। नंदी खुद इलाहाबाद साउथ से विधायक और योगी सरकार में मंत्री हैं। उनकी पत्नी अभिलाषा भी 10 साल से प्रयागराज की मेयर हैं। नंदी आज भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। उनका सियासी सफर फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी है।
बचपन में टीवी देखने के शौक ने कराया VCR का बिजनेस
नंदी के पिता डाक विभाग में काम करते थे। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। नंदी ने एक इटरव्यू में बताया था, “मैं दिनभर पड़ोस के एक बड़े घर के काम करता था। वो जो कहते थे, करता रहता था। मकसद बस इतना कि वो अपने घर टीवी देखने दे। तब ‘ये जो है जिंदगी” सीरियल आता था। एक दिन नीचे बैठकर टीवी देख रहा था। सीरियल के एक सीन पर हंस दिया तो मकान मालिक ने मुझे थप्पड़ मारा और भगा दिया। 14-15 साल की उम्र रही होगी। बहुत रोया लेकिन दिल में ठान लिया कि अब टीवी लेना है।”
नंदी ने बताया, ”पिताजी से जिद की और एक टीवी लेकर आया, साथ में वीसीआर लाया और कमाई का सिलसिला शुरू किया। 120 रुपए में हम 3 फिल्में दिखाते थे। जो बुलाता उसी के यहां मैं टीवी, वीसीआर और तीन फिल्मों की कैसेट मैं चादर में बांधकर ले जाता। फिल्म चला देता और चादर ओढ़कर सो जाता। तीन फिल्में खत्म होने में सुबह हो जाती। सुबह 120 रुपए लिए और वापस समान बांधकर घर।”
नंदी ने यहां से शुरुआत की और फिर फिल्म कैसेट के साथ, पटाखा, रंग-गुलाल से लेकर मिठाई तक कई काम शुरू कर दिए। इसके बाद वो ट्रांसपोर्ट से लेकर, ईट भट्टे तक के काम में घुसे और प्रयागराज के सबसे बड़े व्यापारियों में शामिल हो गए।
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2007 में पहली बार बने विधायक
साल 2007 में बसपा के टिकट पर नंदी ने विधानसभा चुनाव जीता। बसपा की सरकार बनी और मायावती ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। 2012 में हार के बाद भाजपा में आए और 2017 में फिर विधानसभा चुनाव जीते। जिसके बाद वो फिर से मंत्री बने। 2022 में एक बार फिर उनको मंत्री बनाया गया।
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2010 में हुआ था जानलेवा हमला
नंदगोपाल नंदी के जीवन में 12 जुलाई 2010 बहुत भयावह दिन था। इस दिन उन पर बम हमला हुआ। चार महीने नन्दी हॉस्पिटल में भर्ती रहे। वो इतने ज्यादा घायल थे कि करीब दो हफ्ते तो उनकी आंतें भी पेट के बाहर रखी रही थीं। हर साल वो 12 जुलाई को नंदी अपना ‘पुनर्प्राप्त जन्मदिवस’ मनाते हैं।
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