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प्रयागराज

ताजमहल में एंट्री के मामले में परमहंस दास की याचिका पर 31 मई को सुनवाई

जगद्गुरु परमहंस महराज ने याचिका में अधिकारों के सरंक्षण और ताजमहल परिसर में प्रवेश का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी।

प्रयागराजMay 26, 2022 / 06:34 pm

Karishma Lalwani

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Paramhans Das File Photo

ताजमहल में एंट्री को लेकर अयोध्या के तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरू परमहंस दास की याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। महंत परमहंस दास की सुनवाई जस्टिस अब्दुल रहमान मसूदी और जस्टिस विक्रम डी चौहान की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कहा कि समय के अभाव के चलते पिछली तारीख पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। याचिका में धर्मदंड व भगवा वस्त्रधारण कर ताजमहल परिसर में प्रवेश की अनुमति की मांग की गई है। जगद्गुरु परमहंस महराज ने याचिका में अधिकारों के सरंक्षण और ताजमहल परिसर में प्रवेश का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
याचियों को शिष्यों के साथ प्रवेश की अनुमति देने की मांग

याचिका न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ के समक्ष लगी थी। याची अधिवक्ता अभिषेक तिवारी ने टर्म से पहले सुनवाई का अनुरोध किया था। याची जगद्गुरु परमहंस महामंडलेश्वर, आचार्य पीठाधीश्वर, रामघाट, अयोध्या व पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर शंकराचार्य संस्थान, दशनाम गोस्वामी अखाड़ा श्रीमहेश्वर धाम वृंदावन, मथुरा का कहना है कि वे आगरा प्रवास के दौरान ताजमहल देखने गये। उन्हें धर्मदंड व भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।
मामले में 3 मई को प्रत्यावेदन दिया गया है लेकिन अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्हें हाउस अरेस्ट रखा गया।इसलिए हाईकोर्ट में अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए याचिका दायर की गई है। याचिका में याचियों को अपने शिष्यों के साथ प्रवेश की अनुमति देने की मांग की गई है। याची का कहना है कि पिछले दिनों पुलिस का उनके साथ किया गया बर्ताव अखबारों में भी छपा है।
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क्या है पूरा मामला

दरअसल, तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य 26 अप्रैल को आगरा पहुंचे थे। जहां उन्हें भगवा वस्त्र और धर्म दंड की वजह से ताजमहल का दीदार नहीं करने दिया गया था। परमहंस आचार्य ने विवाद पर कहा कि उन्होंने ताजमहल को तेजो महालय कहा था। धर्म दंड और भगवा वस्त्र होने के कारण उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद वहां के एसआई चीफ ने हमसे क्षमा मांगते हुए दोबारा इनवाइट किया।
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3 मई को वह फिर गए, लेकिन उन्हें भगवा वस्त्र पहने होने के कारण एंट्री नहीं मिली। संत परमहंस ने कहा कि इसके बाद बहुसंख्यक समाज में हिंदूवादी संगठनों में साधु संत और धर्म आचार्यों में आक्रोश था।

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