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इन दिग्गजों ने यही से शुरू किया राजनितिक सफर और पहुचे लाल किले की प्राचीर तक …

इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष रहे पूर्व पीएम पंडित नेहरु और लाल बहादुर शास्त्री

प्रयागराजNov 02, 2017 / 01:30 pm

प्रसून पांडे

allahabad nagr nigam

पूर्व प्रधानमन्त्री पंडित नेहरु और लाल बहादुर शास्त्री

इलाहाबाद राजनीतिक पुरोधाओं की माटी आज भी अपने बीते दिनों को खुद में समेटे हुए है।शहर की गलियों में खेलने से लेकर आंदोलन के भागीदार बनने के साथ हीए आजादी की लड़ाई लड़ने वाले पंडित नेहरू। जिन्होंने अपनी जन्म स्थली से अपनी सियासी पारी शुरू कीएऔर राजनीति के पूर्णता तक पहुंचे। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ते हुए पंडित नेहरू इसी शहर में सलाखों के पीछे भी कैद हुए और यहीं से लाल किले की प्राचीर से आजाद भारत के सपने कोख्1000. पूरा किया। पंडित जवाहर लाल नेहरु का शहर आज भी उन्हें याद कर रहा है।भले ही नेहरु की धरती पर कांग्रेस कामयाबी का परचम नही लहरा पा रही हो लेकिन चुनावी दौर में राजनितिक सरगर्मियों के बीच उन्हें लोग याद करते है। निकाय चुनाव में कांग्रेसी नेता हर चौक चौराहे पर उनको याद कर रहे है।कांग्रेस अपनी जमीन खोइ जमीन को स्थानीय चुनाव के जरिये मजबूत करने में लगी है।नेहरु की यादो के साथ कांग्रेस एक बार फिर निकाय चुनाव के ही सहारे उनको लोगो के बीच जिन्दा करना चाहती है।
पंडित नेहरु लाल बहादुर शास्त्री राजनीति ककहरा यही से सीखा।अपने घरऔर कांग्रेस के राष्ट्रिय कार्यालय स्वराज भवन से शुरू हुआ जिस पर मोहर लगी इलाहाबाद के प्रथम नागरिक बनने पर।स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले पंडित नेहरू जिनका शिलशिला शुरू हुआ तो लाल किले की प्राचीर तक पहुंचा।पंडित नेहरु के साथ पूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री भी नगर निगम को सुशोभित किया।इलाहाबाद में पहली बार ब्रिटिश हुकूमत में 1863 में मुंसिपल कमेटी गठित की गई थी।उस समय कमेटी में 50 सदस्यों को नामित किया गया था। जिनमें 6 पदेन सदस्य और बाकी 19 को हर साल चुनने की प्रक्रिया की जाती थी।
इसके बाद 1867 में इलाहाबाद समेत 13 मुंसिपल कमेटी का गठन हुआ। जिसमें 2 वर्षों के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नामित किये जाते थे। और अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अधिकतर अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी ही बनाए जाते थे 1883 में नार्थ वेस्टर्न प्रोविसेज़ एंड अवध म्युनिसिपिलिटी सिमित अधिकार दिए गए। 1916 में इलाहाबाद मुंसिपल बोर्ड का गठन हुआ।जिसके अध्यक्ष शिवचरण लाल बने 1921 में पुरुषोत्तम दास कामताप्रसाद कक्कड़ 1923 पंडित जवाहरलाल नेहरू 1925 में कुछ दिनों के लिए लाल बहादुर शास्त्री और उनके बाद कपिल देव मालवीय एनगर निगम के अध्यक्ष बनाए गए। सबसे लंबा समय 5 बार का कार्यकाल कामता प्रसाद का रहा जो 1924 से 1936 तक नगर निगम के अध्यक्ष रहे। कैलाश नाथ काटजू और रणेंद्र नाथ बसु ने भी इस पद को सुशोभित किया 1959 में यूपी नगर महापालिका अधिनियम पारित हुआ।और इसी वर्ष पहली बार नगरपालिका के चुनाव और बी एन पांडे को अध्यक्ष बनाने का इतिहास भी बना।हालाकि उस जमाने में कारपोरेट घराने नगर मुखिया चुना करते थे।अब उसका चुनाव जनता के हाथो में है।
नगर निगम कई दशको के इतिहास में आज भी नेहरु और शास्त्री को नगर निगम अपना हिस्सा बना कर इतराता है। बदलते वख्त के साथ निगम में बहुत से परिवर्तन हुए।कॉरपरेट घराने से जनता के हाथो तक अपने शहर की सरकार बनाने का अधिकार आया।देश की राजनीत बदली सत्ता का सिघासन बदलाएलेकिन आज भी शहर में विकास का पहिया रफ़्तार नही पकड़ सका। नेहरु और शास्त्री की कर्म भूमि आज भी अच्छे दिन के इंतज़ार में है।एक बार फिर अपने ही शहर की सत्ता को स्थापित करने की बारी आयी है।राजनीतिक दलों में खुद के कब्जे के लिए जद्दोजहद जारी है।तो आम आदमी अपनी सरकार किसे देगा आने वाला वख्त इसे तय करेगा।और नेहरु के शहर का ताज किसके सर होगा।

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