इस फैसलें ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसलें को खारिज कर दिया गया, जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाने का आदेश दिया गया था । इस फैसलें के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीमकोर्ट चल गये थे । चार सौ सालों से ज्यादा न्यायिक प्रक्रिया में दो संप्रदायों के बीच विवाद में फंसे इस फैसले को देने के लिए जिन पांच न्यायाधीशों की पीठ बैठी थी । उनमें दो चेहरे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़े हुए थे। जिन पर सभी की नजर रही है ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण को सुनने और उनकी प्रतिकिया जानने के लिए लोग उत्सुक रहे । बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं तो वही अशोक भूषण और न्यायाधीश तो नहीं लेकिन अधिवक्ता के रूप में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपना सफर शुरू किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण के जरिए एक बार फिर प्रयागराज अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले के साथ जुड़ा यह दोनों जस्टिस अपने ऐतिहासिक फैसले और मुकदमों की सुनवाई के लिए देश भर में जाने जाते हैं ।