कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई कर रही न्यायमूॢत सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने निर्देश देते हुए कहा कि नाइट कर्फ्यू कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने की दिशा में छोटा कदम है। इसलिए दिन में भी गैर जरूरी यातायात को नियंत्रित किया जाए। जीवन रहेगा तो अर्थव्यवस्था भी दुरुस्त हो जाएगी। विकास व्यक्तियों के लिए है। जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा?
वहीं अदालत को बताया गया कि कोरोना मरीजों को भर्ती करने से अस्पताल इंकार कर रहे हैं। लोग गाइडलाइंस का पालन करने में सहयोग नहीं दे रहे हैं। इलाज की व्यवस्था फेल है। मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। अगली सुनवाई पर सचिव स्तर के अधिकारी का हलफनामा मांगा है। साथ ही प्रयागराज के जिलाधिकारी व सीएमओ को कोर्ट में हाजिर रहने का निर्देश दिया गया है।
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मास्क न पहनने पर पुलिस वालों पर होगी कार्रवाई
हाई कोर्ट का कहना है कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखाई नहीं दे अन्यथा अदालत पुलिस के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगी। अदालत ने सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में 50 से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के साथ ही ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाने की हिदायत दी है। शहरों में खुले मैदान से लेकर अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीडि़तों के इलाज की व्यवस्था की जाए। जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किए जाएं।
बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट से किया आग्रह
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वह कम से कम दो सप्ताह की अवधि के लिए परिसर को बंद कर दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में बढ़ते कोविड-19 मामलों के मद्देनजर पूर्ण लॉकडाउन की आवश्यकता पर जोर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेन्द्र नाथ सिंह ने कहा, जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश में दर्ज किया गया है, आग्रह किया कि हाईकोर्ट को कम से कम दो सप्ताह के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए, ताकि मुकदमेबाज और वकील अदालत में न पहुंचें और संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।