रघुवर दयाल ने किया था आविष्कार इगलास के रघुवर दयाल ने चमचम का आविष्कार किया था। तब सारा काम हाथ से होता था। धीरे-धीरे यह मिठाई इतनी मशहूर हो गई कि कई कारखाने खुल गए। चमचम बनाने के काम में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोग रोजगाप पा रहे हैं।
कैसे बनाएं रघुवर दयाल के पुत्र दिनेश चन्द्र सिंघल ने बताया कि चमचम को कैसे बनाया जाता है। सबसे पहले दूध में खट्टा डालकर छैना बनाया जाता है। फिर छैना में इलायची और सूजी मिलाई जाती है। इलायची इसलिए कि सुगंध आ जाए। सूजी इसलिए कि छैना का लड्डू बन जाए। फिर इस लड्डू (गोली) को चीनी की चासनी में पकाया जाता है। जब छैना की गोली गुलाबी रंग की हो जाए तो मिठाई तैयार हो जाती है। फिर इसे खुले थाल में थोड़ी सी चासनी के साथ रखा जाता है ताकि शीतल हो सके। फिर डिब्बे में पैक की जाती है। अगर मिठाई खुली रखी है तो 15 दिन तक खराब नहीं होती है। डिब्बे में पैक होने के बाद सात दिन तक खराब नहीं होती है।
घर पर भी बना सकते हैं दिनेश चंद्र सिंघल बताते हैं कि इस मिठाई को घर पर भी आराम से बनाया जा सकता है। यह पूरी तरह शुद्ध होती है। ज्यादा सामान भी नहीं चाहिए। दूध, इलायची, सूची और चीनी चासनी से मिठाई बन जाती है। दीपावली पर घर आने वाले मेहमानों को चमचम खिलाएंगे तो वे नए स्वाद से परिचित होंगे।