यह भी पढ़े – UP में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर आज से सर्वे शुरू, विपक्ष का हमला जारी कॉलेज में ज्यादातर डॉक्टर मौजूद भी नहीं थे इस पूरे मामले पर एएमयू के प्रवक्ता उमर पीर ने बताया कि पिछले दिनों जब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की टीम निरीक्षण करने मेडिकल कॉलेज पहुंची थी तब त्योहर के चलते यहां अवकाश था। यही कारण है कि कॉलेज में ज्यादातर डॉक्टर मौजूद भी नहीं थे। उन्होंने बताया कि कॉलेज की इस विसंगति को दूर करने के लिए एनएमसी से दोबारा प्रयास किया जा रहा है। तीन महीने के अंदर की इन सभी कमियों को दूर कर दिया जाएगा। बता दें कि एएमयू प्रशासन की तरफ से सितंबर 2021 में जेएन मेडिकल कॉलेज में अगले सत्र के लिए एमबीबीएस सीटों की संख्या को 150 से बढ़ाकर 200 करने के लिए एनएमसी में आवेदन किया था। उनके आवेदन पर अंतिम निर्णय लेने से पूर्व आयोग की टीम 8 जुलाई 2022 को मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण करने आई थी।
यह भी पढ़े – यूपी में शिक्षक पुरस्कारों के लिए गाइडलाइन जारी, 4 स्तरों पर होगा इंटरव्यू रिपोर्ट में तमाम कमियों का जिक्र उधर, बताया जाता है कि आवेदन पर अंतिम निर्णय लेने से पहले आयोग की टीम 8 जुलाई 2022 को मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण करने पहुंची थी। वहीं निरीक्षण के बाद जो रिपोर्ट सौंपी गई उसमें तमाम कमियों का जिक्र था। जिसके मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में 16 फीसदी सदी फैकल्टी की कमी है। सीनियर रेजिडेंटल 46.2 फीसदी ही हैं, जबकि एनाटॉमी में 5 ट्यूटर, फिजियोलॉजी में 4 ट्यूटर, बायोकेमिस्ट्री 2 ट्यूटर, कम्युनिटी मेडिसिन में 4 ट्यूटर और सामान्य चिकित्सा में 3 एसोसिएट प्रोफेसरों की कमी के साथ कई अन्य कमियां भी पाई गई हैं। वहीं इन कमियों के आधार पर चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड की समिति ने 50 सीटें न बढ़ाने की संस्तुति भी कर दी है। साथ ही तीन महीने के अंदर इन सभी कमियों को दूर करने के लिए कहा गया है। अगर कमियों को दूर नहीं किया गया तो एमबीबीएस की सीटों को कम करने के साथ ही कॉलेज की मान्यता को भी रद्द किया जा सकता है।