यह भी पढ़ें
सपा के निर्णय से सियासी भंवर में फंसी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी की राजनीतिक विरासत
एक नजर अलीगढ़ जिले के बारे में…अलीगढ़ जिला 3650 वर्ग किमी में फैला हुआ है। जिले की कुल जनसंख्या 36,73,889 है। जिसमें से 19,51,996 पुरुष और 17,21,893 महिलाएं हैं। अलीगढ़ में कुल 19 नगर निकाय, एक नगर पालिका, 30 पुलिस स्टेशन और 1241 गांव हैं।
अब वापस लौटते है स्टोरी पर… अंग्रेजी ठीक से न बोल पाने के कारण कभी उड़ता था मजाक
विजय शेखर जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने दिल्ली आए। तो उन्हें हिंदी और अंग्रेजी के बीच का बहुत बड़ा अंतर पता चला। बचपन से हिंदी मीडियम से पढ़े विजय शेखर की इंग्लिश उस समय अच्छी नहीं थी। इसके चलते साथ पढ़ने वाले इंग्लिश मीडियम के छात्र कई बार उनका मजाक भी उड़ाते थे। हालांकी विजय को कुछ ऐसे साथी भी मिले जिन्होंने इंग्लिश सीखने में उनकी मदद की। अंग्रेजी को लेकर विजय के सामने बहुत परेशानियां भी आईं। वह फेल भी हुए। लेकिन उन्होंने ये मन बना लिया था कि वह इसे सीख के ही दम लेंगे। ये विजय की इच्छाशक्ति ही थी। जिसके दम पर उन्होंने जल्द ही अंग्रेजी बोलना सीख ली।
विजय शेखर जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने दिल्ली आए। तो उन्हें हिंदी और अंग्रेजी के बीच का बहुत बड़ा अंतर पता चला। बचपन से हिंदी मीडियम से पढ़े विजय शेखर की इंग्लिश उस समय अच्छी नहीं थी। इसके चलते साथ पढ़ने वाले इंग्लिश मीडियम के छात्र कई बार उनका मजाक भी उड़ाते थे। हालांकी विजय को कुछ ऐसे साथी भी मिले जिन्होंने इंग्लिश सीखने में उनकी मदद की। अंग्रेजी को लेकर विजय के सामने बहुत परेशानियां भी आईं। वह फेल भी हुए। लेकिन उन्होंने ये मन बना लिया था कि वह इसे सीख के ही दम लेंगे। ये विजय की इच्छाशक्ति ही थी। जिसके दम पर उन्होंने जल्द ही अंग्रेजी बोलना सीख ली।
यह भी पढ़ें
अखिल भारत हिंदू महासभा की आगरा अदालत से गुहार, ताजमहल में ‘उर्स’ मानने पर रोक की मांग
ऐसे हुई थी पेटीएम की शुरुआत साल 1997 में विजय शेखर शर्मा ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही indiasite.net नाम की एक वेबसाइट बनाई थी। इसके बाद उन्होंने इसे लाखों रुपये में बेचा था। साल 2000 में उन्होंने one 97 communication लिमिटेड की स्थापना की। इसपर जोक्स, रिंगटोन, क्रिकेट मैच और परीक्षा का रिजल्ट दिखाया जाता था। ONE 97 Paytm की पैरेंट कंपनी है। साल 2010 में विजय ने पेटीएम की शुरुआत साउथ दिल्ली के एक किराए के कमरे से की थी। इसके बाद विजय ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार सफलता की ऊंचाइयों को छूते चले गए।पेटीएम की शुरुआत के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा…
2010 में पेटीएम आसान शब्दों में कहे तो Pay through Mobile लाँच किया। शुरु में इसका इस्तेमाल फोन रिचार्ज और DTH रिचार्ज के लिए होता था। 2014 में वॉलेट लांच (Launch) किया। जिसे हम सरल भाषा में बटुआ भी कहते है। इसमें पैसे डाल दीजिए। कैश लेकर चलने की जरूरत ही खत्म। 2016 में नोट बंदी के समय डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ा। UPI यानी United Payment Interface ने तो डिजिटल पेमेंट में तो क्रांति ही ला दी। आपको वा्ॅलेट यानी बटुए में पैसे डालने की जरूरत नहीं थी। बैंक एकाउंट से पैसे सीधे कटकर जिसे देना है उसे मिल जाते हैं। सामने वाले के पास बस Paytm हो या फोन पे या कोई और डिजिटल ऐप।