मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद आमिर रशीद का कहना है कि वैचारिक मतभेदों के कारण पूर्व की सरकारों ने देश के हजारों क्रांतिकारियों के नाम नजरअंदाज किए और वीर सावरकर के त्याग और बलिदान को अनदेखा कर इतिहास से छिपाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि आज कुछ वामपंथी इतिहासकार सावरकर की निराधार आलोचना करते हैं, जिनकी देश की आजादी में कोई भूमिका नहीं है। मोहम्मद आमिर रशीद ने बताया कि सावरकर की प्रेरणा से मदनलाल ढींगरा ने इंग्लैंड में अंग्रेज का मर्डर किया था जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत वीर सावरकर से घबरा गई थी और उनको वहां से गिरफ्तार कर काला पानी की सजा दी गई थी। उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारको को वीर सावरकर के त्याग और बलिदान का एहसास नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके 135वें जन्मदिवस पर केंद्र सरकार से भारत रत्न दिए जाने की मांग की है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पोस्टकार्ड भेज कर मांग को प्रबल बनाएंगे।