अलीगढ़

जब अलीगढ़ में कांग्रेस विधायक के जीतने से आसान हुई थी मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने की राह…

सन् 1989 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार विजेंद्र सिंह ने चौधरी राजेंद्र सिंह को इगलास विधानसभा सीट पर मात्र 64 वोट से हराया था। इस हार के बाद ही मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो गई थी।

अलीगढ़Oct 11, 2022 / 01:33 pm

Jyoti Singh

Congress MLA victory in Aligarh makes it easy for Mulayam Singh to become chief minister

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital, Gurugram) में निधन हो गया। आज दोपहर तीन बजे सैफई मेला ग्राउंड (Saifai Mela Ground) में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान नेताजी के कई समर्थकों की भीड़ उनके अंतिम दर्शन को उमड़ रही है। बता दें कि नेताजी का राजनीतिक सफर काफी चर्चा में रहा है। जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उसके पीछे अलीगढ़ के पूर्व सांसद और तीन बार विधायक रहे चौधरी विजेंद्र सिंह (Chaudhary Vijendra Singh) का बड़ा हाथ माना जाता है। ऐसा कह सकते हैं कि चौधरी विजेंद्र सिंह के जीतने पर ही मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनने की राह आसान हुई थी।
राजेंद्र सिंह से मुलायम सिंह का रहा खास रिश्ता

दरअसल सन् 1989 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार विजेंद्र सिंह ने उस समय के ताकतवर नेता चौधरी राजेंद्र सिंह (Chaudhary Rajendra Singh) को इगलास विधानसभा सीट पर मात्र 64 वोट से हराया था। राजेंद्र सिंह, चौधरी चरण सिंह के राइट हैंड माने जाते थे और 1989 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन चौधरी राजेंद्र सिंह की हार के बाद मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो गई थी। हालांकि चौधरी राजेंद्र सिंह से मुलायम सिंह यादव का खास रिश्ता रहा। मुलायम सिंह, राजेंद्र सिंह के लखनऊ स्थित आवास पर रुकते थे और वहीं उनके दोनों पुत्र सुनील सिंह और दिलीप सिंह को गोद में खिलाते थे।
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राजेंद्र सिंह के हारने से बढ़ा नेताजी का दबदबा

बता दें कि जब जसवंत नगर विधानसभा से मुलायम सिंह चुनाव हारे थे। तब राजेंद्र सिंह ने ही मुलायम सिंह को विधान परिषद का सदस्य बनवाया था। साथ ही उन्हें विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष भी बनवाया था। पूर्व सांसद और तीन बार विधायक रहे विजेंद्र सिंह बताते हैं कि राजेन्द्र सिंह, चौधरी चरण सिंह के शिष्य थे और उस समय पश्चिमी यूपी में राजेंद्र सिंह का बहुत दबदबा था। मुलायम सिंह के प्रतिद्वंदी के तौर पर राजेंद्र सिंह नंबर 1 माने जाते थे, लेकिन राजेंद्र सिंह के हारने के बाद मुलायम सिंह का दबदबा बढ़ गया। इसलिए कहा जाता है कि विजेंद्र सिंह के जीतने पर मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने।
इस तरह आसान हुई थी मुख्यमंत्री बनने की राह

चौ. विजेंद्र सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव का संघर्ष और उनके कारनामों ने उनको मुख्यमंत्री बनाया। वह कहते हैं कि जब हम पहली बार एमएलए बनकर विधानसभा पहुंचे, तब मुलायम सिंह से मुलाकात हुई थी। बेनी प्रसाद वर्मा ने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कराई थी और बताया था कि इसी लड़के ने राजेंद्र सिंह को हराया था। 1989 जनता दल में चौधरी अजीत सिंह उभर रहे थे और राजेंद्र सिंह इसी गुट के नेता थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने भी मुख्यमंत्री के पद की दावेदारी ठोकी थी। वहीं जब विजेंद्र सिंह ने राजेंद्र सिंह को 64 वोट से हराया तो अजीत सिंह धड़े को झटका लगा और मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो गई।
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1989 में पहली बार सीएम बन उभरे थे नेताजी

बता दें कि 5 दिसंबर 1989 को पहली बार मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने थे। सन् 1977 में जनता पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव सहकारिता व पशुपालन मंत्री थे, तो वहीं राजेंद्र सिंह कृषि और सिंचाई मंत्री बने थे। चौ. विजेंद्र सिंह के मुताबिक, तीन बार राजेंद्र सिंह के पिता शिवराज सिंह विधायक रहे और चार बार राजेंद्र सिंह इगलास विधानसभा से विधायक चुने गए थे। चौधरी चरण सिंह की बहन गायत्री देवी भी यहीं से चुनाव जीती थीं। पहली बार कांग्रेस की जीत से राजेंद्र सिंह का डाउनफॉल शुरू हुआ और मुलायम सिंह का भविष्य उज्जवल होता चला गया। वहीं विजेन्द्र सिंह ने कांग्रेस से विधायक और सांसद बनने के बाद समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है।

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