प्रवेश नीति में किसी प्रकार का आरक्षण संबंधी बदलाव संभव नहीं
विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमुवि ने कभी भी मुसलमानों के आरक्षण की नीति पर कार्य नहीं किया है बल्कि विश्वविद्यालय में धर्म अथवा जाति से अलग केवल इंटरनल छात्र व छात्राओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। अमुवि ने आगे कहा है कि 2005 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई और जब तक अमुवि के अल्पसंख्यक स्वरूप से सम्बन्धित वाद का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं लिया जाता, इसकी प्रवेश नीति में किसी प्रकार का आरक्षण संबंधी बदलाव संभव नहीं है। प्रो. तबस्सुम शहाब ने कहा कि उक्त कमीशन द्वारा आरक्षण संबंधी पूछे गये प्रश्नों का उत्तर अमुवि अवश्य देगा।
2- रक्तदान शिविर
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज द्वारा एक रक्तदान शिविर कासिमपुर पावर हाउस, हरदुआगंज, अलीगढ़ के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें 415 स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया। विश्वविद्यालय ब्लड बैंक भविष्य में ऐसे और अधिक रक्तदान शिविर आयोजित करेगा। इस अवसर पर एक व्याख्यान द्वारा लोगों को रक्तदान के लाभों के बारे में बताया गया और भ्रांतियों को दूर किया गया। स्वयंसेवा के रूप में रक्तदान की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए रक्तदाताओं के प्रकारों, सुरक्षात्मक उपायों तथा टीटीआई स्क्रीनिंग के बारे में भी बताया गया। यह भी बताया गया कि विश्वविद्यालय ब्लड बैंक अब एनएटी तकनीक का प्रयोग करने की तैयारी में है। यह तकनीक उत्तर प्रदेश में वर्तमान में केवल किंग जाॅर्ज मेडीकल यूनीवर्सिटी तथा पीजीआई लखनऊ में प्रयोग की जा रही है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज द्वारा एक रक्तदान शिविर कासिमपुर पावर हाउस, हरदुआगंज, अलीगढ़ के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें 415 स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया। विश्वविद्यालय ब्लड बैंक भविष्य में ऐसे और अधिक रक्तदान शिविर आयोजित करेगा। इस अवसर पर एक व्याख्यान द्वारा लोगों को रक्तदान के लाभों के बारे में बताया गया और भ्रांतियों को दूर किया गया। स्वयंसेवा के रूप में रक्तदान की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए रक्तदाताओं के प्रकारों, सुरक्षात्मक उपायों तथा टीटीआई स्क्रीनिंग के बारे में भी बताया गया। यह भी बताया गया कि विश्वविद्यालय ब्लड बैंक अब एनएटी तकनीक का प्रयोग करने की तैयारी में है। यह तकनीक उत्तर प्रदेश में वर्तमान में केवल किंग जाॅर्ज मेडीकल यूनीवर्सिटी तथा पीजीआई लखनऊ में प्रयोग की जा रही है।