पुलिस उपमहानिरीक्षक(अजमेर रेंज) ओमप्रकाश ने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने 2024 की प्राथमिकताओं में महिला, बालिका अपराध की रोकथाम को प्राथमिकता दी है। इसके मद्देनजर रेंज के पुलिस अधीक्षकों को भी महिला अपराध पर रोकथाम के प्रयास तेज करने के निर्देश दिए थे। जिसके तहत रैंज में महिला-बालिका संबंधित अपराध दर्ज होने के साथ त्वरित निस्तारण व दैनिक मॉनिटरिंग की व्यवस्था लागू की गई। जिससे मामला दर्ज होने के साथ ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट व झूठे प्रकरणों में ‘एफआर’ पेश करवाई गई।
ट्रैकिंग प्रणाली रही कारगर
डीआईजी ओमप्रकाश ने बताया कि अजमेर रेंज में यौन अपराधों के लिए जांच की ट्रैकिंग प्रणाली(आईटी एसएसओ) को अपनाया है। जिससे रेंज के प्रत्येक थाना क्षेत्र में दर्ज होने वाले केस पर निगाह रखी जाती है। एएसपी (अपराध) विजय सिंह सांकला प्रत्येक केस की प्रगति रिपोर्ट की दैनिक मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जिसके चलते महिला अपराध में कमी दर्ज होने से प्रदेश में आईटीएएसओ रेंकिंग में अजमेर रेंज 12वें से सातवीं पायदान पर आ गया है। आगामी दिनों में ज्यादा बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है।आई.ओ. को देते हैं नोटिस
डीआईजी ने बताया कि केस दर्ज होते ही उसके चालान और नतीजा रिपोर्ट पर नजर रखी जाती है। लापरवाही बरतने पर संबंधित अनुसंधान अधिकारी को कारण बताओ नोटिस दिया जाता है।चोरी-7, नकबजनी-10 फीसदी घटी
उन्होंने बताया कि महिला अपराध के अलावा अजमेर रेंज में चोरी में सितम्बर व अक्टूबर में 7 फीसदी, नकजबनी में 10 फीसदी की कमी दर्ज की है। इसके अलावा एससी-एसटी के प्रकरण प्रकरण समान रहे लेकिन एसटी के प्रकरण में 14 फीसदी कमी दर्ज की गई। हालांकि स्थानीय व माइनर एक्ट की कार्रवाई में इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य जुटाने की बाध्यता के कारण कार्रवाई का स्तर कम रहा है। जिसे आगामी दिनों में पूरा किया जाएगा।यह है व्यवस्था
डीआईजी ओमप्रकाश ने बताया कि आईटीएसएसओ गाइड लाइन में महिला अत्याचार व नाबालिग से जुड़े प्रकरण में 60 दिन में कोर्ट में आरोपी के खिलाफ चालान या एफआर पेश करना जरूरी है। इसमें अनुसंधान अधिकारी से लेकर आईजी-डीआईजी तक की समयावधि निर्धारित है।-थानाधिकारी व थाना स्तर पर मुकदमा दर्ज होने के बाद 30 दिन की अवधि में चार्जशीट पेश करनी होती है। -तीस दिन के बाद अगले 15 दिन यानी प्रकरण दर्ज होने के 45वें दिन तक फाइल एसपी के पास रहती है।-45 दिन की अवधि में चालान पेश नहीं करने या प्रकरण में नतीजा रिपोर्ट पेश नहीं करने पर प्रकरण रेंज कार्यालय में तलब किया जाता है। यहां भी 15 दिन में अनुसंधान पूर्ण करके पत्रावली में चालान या अंतिम रिपोर्ट पेश की व्यवस्था लागू है।