अजमेर. अपराध घटित होने पर अक्सर पुलिस के ‘रेस्पोंस टाइम’ की बात की जाती है, लेकिन साइबर ठगी के शिकार वारदात के बाद अपनी सजगता से खुद के मददगार बन सकते हैं। ऑनलाइन ठगी की वारदात के बाद जितनी जल्दी हेल्प लाइन नम्बर 1930 पर शिकायत दर्ज होगी रकम बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।खाते में वापस आए एक लाख
ब्यावर के सिकन्दर काठात के ई-वॉलेट से 99 हजार 999 व 19 हजार 975 रुपए ऑनलाइन निकासी कर ली गई। सिकन्दर ने तत्काल टोल फ्री नम्बर 1930 पर शिकायत दर्ज करवा दी। इससे ई-वॉलेट से निकले 99 हजार 999 रुपए तुरंत ब्लॉक हो गए। हालांकि ठग 19 हजार 975 रुपए एटीएम से निकालने में कामयाब रहा। इसके बाद सिकन्दर के ऑनलाइन धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने के बाद पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट ने ई-वॉलेट कम्पनी को पुलिस की साइबर सेल के जरिए नोटिस देकर पीडि़त की रकम पुन: खाते में ट्रांसफर करवाई।
जामताड़ा में निकले 20 हजार इधर, पुलिस की पड़ताल में सिकन्दर काठात के खाते से 19 हजार 975 रुपए की रकम झारखंड के जामताड़ा में एटीएम से निकासी होना पता चला। जबकि 99 हजार 999 रुपए ब्लॉक करने से बच गए। रकम बरामदगी के लिए साइबर सेल प्रयास में जुटी है।
फैक्ट फाइल वर्ष 2022 : अजमेर में अक्टूबर तक ऑनलाइन धोखाधड़ीऑनलाइन ठगी के शिकार- 3670 धोखाधड़ी की रकम- 4.19 करोड़ रुपएपुलिस की सजगता से बचे लोग- 339 1930 हेल्पलाइन की मदद से बचे-27 लाख
रखें यह ध्यान – बैंकिंग पासवर्ड बनाते समय बरतें सावधानी – अनजान लिंक पर नहीं करें क्लिक- सत्यापित बैंकिंग एप का ही इस्तेमाल करें – पब्लिक वाईफाई व साइबर कैफे से ट्रांजेक्शन नहीं करें
– गूगल पर कस्टमर केयर को सर्च ना करें- एनी डेस्क जैसी एप्लीकेशन डाउनलोड नहीं करें – बैंकिंग यूपीआई नम्बर किसी से शेयर नहीं करें- बैंकिंग लेनदेन में ओटीपी शेयर नहीं करें इनका कहना है…
ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर जितना जल्दी हो सके 1930 पर शिकायत दर्ज करवाने से अपनी रकम बचा सकते हैं। शिकायत पर संबंधित ई-वॉलेट कम्पनी रकम की निकासी ब्लॉक कर देती है। बशर्ते ठग ने रकम की निकासी नहीं की हो।
रणवीर सिंह, एएसआई, साइबर सेल अजमेर